सुरेश एस डुग्गर / जम्मू
सुरक्षाबलों के दबाव के चलते कश्मीर से भाग रहे आतंकी अब राजौरी, पुंछ तथा किश्तवाड़ के इलाकों को अपना सुरक्षित ठिकाना मान रहे हैं। इन तीनों जिलों में पिछले दिनों से होने वाली मुठभेड़ें, सुरक्षाबलों पर होने वाले घातक हमले और बरामदगियां इसका सबूत हैं।
इस वर्ष जनवरी से अब तक तीनों जिलों में हालांकि दर्जनों आतंकियों को मार डाला गया है। समाचार लिखे जाने तक राजौरी में एक आतंकी को और मारा गया तथा दो से तीन को घेरे में ले रखा गया था। यह भी सच है कि राजौरी तथा पुंछ के जिले सेना के लिए सबसे अधिक सिरदर्द इसलिए बन गए थे, क्योंकि एलओसी से सटे होने के कारण पाक सेना ने अब घुसपैठ के लिए इन्हीं दोनों जिलों पर अपना ध्यान केंद्रित कर आतंकियों को धकेलना तेज किया हुआ है।
अधिकारियों ने इसे माना है कि इन दोनों जिलों में विदेशी आतंकियों का जमावड़ा हैै। हालांकि, जम्मू रेंज के एडीजीपी मुकेश सिंह का मानना था कि आतंकियों के तीन से चार दल इन जिलों मेंं एक्टिव हैं, पर वे भी इसके प्रति कोई जानकारी नहीं दे पाते थे कि इन समूहों में कुल कितने आतंकी हैं। वैसे एक सूत्र के बकौल, ताजा घुसे २५ से ३० आतंकी कुछेक स्थानीय आतंकियों के सहारे इन दोनों जिलों में आतंकवाद को पुनः जिंदा करने में कामयाब हुए हैं। दोनों जिलों में सबसे अधिक भयानक वे दो दिन माने जाते रहे हैं, जब आतंकियों ने २० अप्रैल को पुंछ के भाटा धुरियां और फिर ५ मई को राजौरी के केसर क्षेत्र में घात लगाकर सेना के कुल १० जवानों को मौत के घाट उतार दिया था। हालांकि, उसके बाद गुस्साई सेना ने आतंकियों को जड़ से उखाड़ने में कोई कसर तो नहीं छोड़ा, पर फिलहाल उम्मीद के मुताबिक कामयाबी इसलिए हाथ नहीं लग पा रही है, क्योंकि उस पार से आतंकियों की नफरी आती ही जा रही है।
वैसे कश्मीर से सटे हुए किश्तवाड़ जिले में भी आतंकियों की संख्या बढ़ने लगी है। पुलिस कहती थी कि इस जिले में अधिकतर स्थानीय आतंकी हैं या फिर कश्मीर से मूव करने वाले हैं। कुछेक आतंकियों को इस जिले में भी मार गिराया गया है, पर खतरा अभी पूरी तरह से टला नहीं है।