मुख्यपृष्ठनए समाचारअपनों की बेरुखी का कड़वा सच ...अस्थियों को विसर्जन का इंतजार

अपनों की बेरुखी का कड़वा सच …अस्थियों को विसर्जन का इंतजार

प्रेम यादव / भायंदर
मीरा-भायंदर के श्मशानों में बड़ी संख्या में अस्थिकलश आलमारियों में सहेज कर रखे गए हैं, जो बरसों से अपने परिजनों द्वारा विसर्जन का इंतजार कर रहे हैं। ये अस्थिकलश सिर्फ मृतकों के अवशेष नहीं हैं, बल्कि उन रिश्तों की कड़वी सच्चाई भी हैं, जिनके लिए लोग जीवनभर पसीना बहाते हैं। चिता की आग ठंडी होते ही जिन अपनों ने मृतकों को भुला दिया, उनके लिए अब इन अस्थियों का कोई महत्व नहीं रह गया है। श्मशानों में सुरक्षित रखे गए ये अस्थिकलश इस बात के प्रतीक हैं कि आज की दुनिया में भावनाओं और रिश्तों की कीमत कितनी कम हो गई है।
प्रशासन की उदासीनता से अस्थियों का अनादर
मनपा प्रशासन पर सवाल उठते हैं कि आखिर इन अस्थियों के बारे में पहले क्यों नहीं सोचा गया? जिन अस्थियों को सम्मानपूर्वक जल में विसर्जित किया जाना चाहिए था, उन्हें सालों तक श्मशानों की आलमारियों में क्यों छोड़ दिया गया? मनपा प्रशासन की यह लापरवाही न केवल धार्मिक मान्यताओं का अपमान है, बल्कि मानवता के खिलाफ भी है। कोविड-१९ महामारी के दौरान की कई अस्थियां भी इन्हीं आलमारियों में बंद पड़ी हैं। सवाल यह है कि क्या प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं थी कि समय पर इन अस्थियों को उचित सम्मान दिया जाता?
मीरा-भायंदर मनपा ने हाल ही में एक जनसूचना जारी की है, जिसमें परिजनों से अपील की गई है कि वे सात दिनों के भीतर श्मशान से अपनों की अस्थियां लेकर जाएं। यदि ऐसा नहीं किया गया तो प्रशासन वैदिक विधि के साथ इन अस्थियों का विसर्जन कर देगा।

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