बेवजह दखल से थे परेशान
सामना संवाददाता / मुंबई
पिछले डेढ़ वर्ष से मुंबई महानगरपालिका में शहर और उपनगर के पालकमंत्रियों का हस्तक्षेप बहुत ज्यादा बढ़ गया था। यहां तक कि अधिकारी परेशान होने लगे थे। मनपा के हर पैâसले में पालकमंत्रियों का अड़ंगा होना आम बात हो गई थी।, लेकिन अब आचार संहिता लगने के बाद मुंबई मनपा के कामकाज में इन पालक मंत्रियों का हस्तक्षेप भी रुक गया है। यूं मानो आगामी ४ जून तक मनपा अधिकारियों का इन पालक मंत्रियों से पिंड छूट गया है। मनपा अधिकारी इस चुनाव तक पालक मंत्रियों से होनेवाली परेशानी से मुक्त रहेंगे और खुली हवा में सांस ले सकेंगे, ऐसा विश्वास मनपा के कई अधिकारियों ने व्यक्त किया है।
आचार संहिता लागू होने के कारण मनपा मुख्यालय में बैठकें, वार्ड स्थल पर मंत्रियों की बैठकें अब न के बराबर होंगी, क्योंकि मनपा प्रशासन ने निर्देश दिया है कि सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता का सख्ती से पालन करना होगा। मुंबई में सभी बोर्ड तुरंत हटाने का भी आदेश दे दिया गया है, जिसमें दोनो पालक मंत्रियों के मनपा मुख्यालय में कार्यालय के बोर्ड भी शामिल हैं। बता दें कि मुंबई मनपा में वर्तमान में शहर पालक मंत्री दीपक केसरकर और उपनगरीय पालक मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा के कार्यालय खोले गए थे, जो इतिहास में पहली बार हुआ है कि मनपा मुख्यालय में पालक मंत्रियों के कार्यालय बने हैं। यहां इनके द्वारा नियमित बैठकें की जा रही थीं। यहां पिछले वर्ष जुलाई में मुंबई मनपा मुख्यालय में पालक मंत्री मंगलप्रभात लोढ़ा के लिए एक अलग कार्यालय खोला गया था। बाद में केसरकर के लिए भी मुख्यालय में कार्यालय खुला। इन दोनों मंत्रियों की साप्ताहिक समीक्षा बैठकें मुख्यालय में होती थीं।