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उत्तर-पश्चिम लोकसभा सीट पर धांधली का मामला पहुंचा हाई कोर्ट …चुनाव आयोग, पुलिस और जिलाधिकारी पर गंभीर आरोप?

याचिका में आरोपों की लंबी फेहरिस्त
न्यायालय से न्याय की गुहार 

सामना संवाददाता / मुंबई
उत्तर-पश्चिम मुंबई लोकसभा सीट पर शिंदे गुट के रवींद्र वायकर द्वारा धांधली कर चुनाव जीतने का मामला अब मुंबई हाई कोर्ट पहुंच गया है। उत्तर-पश्चिम मुंबई लोकसभा सीट से चुनाव लड़नेवाले उम्मीदवार भरत खिमजी शाह ने कल मुंबई हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। याचिका में मांग की गई है कि ४ जून २०२४ को हुई वोटों की गिनती और घोषित नतीजे को रद्द किया जाए। भरत खिमजी शाह द्वारा उच्च न्यायालय में दायर याचिका में केंद्रीय चुनाव आयोग, मुंबई उपनगर जिला चुनाव अधिकारी, रवींद्र वायकर और महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को प्रतिवादी बनाया गया है। एडवोकेट असीम सरोदे, विनय खाटू, श्रिया आवले, किशोर वरक की मदद से यह याचिका दायर की गई है। याचिका में आरोप है कि चुनाव आयोग स्वतंत्र और पारदर्शी माहौल में चुनाव और मतगणना कराने में विफल रहा है। इस क्षेत्र में वोटों की गिनती ४ जून, २०२४ को नेस्को मतगणना केंद्र पर हुई थी। लगातार जीत की ओर बढ़ रहे अमोल कीर्तीकर को विजेता घोषित किए जाने के बाद, रवींद्र वायकर ने पोस्टल बैलेट की दोबारा गिनती की मांग की और घटनाक्रम में अचानक बदलाव आ गया और रवींद्र वायकर को ४८ वोटों से विजयी घोषित कर दिया गया।
अधिकारियों ने क्यों नहीं जताईआपत्ति
याचिका में सवाल उपस्थित किया गया है। क्या दिनेश गुरव की चुनाव अधिकारी कार्यालय में अस्थाई नियुक्ति सही है? क्या किसी प्राइवेट कंपनी में कार्यरत किसी व्यक्ति को इस तरह अस्थायी तौर पर मतगणना स्थल पर नियुक्त किया जा सकता है? क्या चुनाव आयोग के साथ काम करनेवाला कोई भी व्यक्ति गणना केंद्र पर मोबाइल फोन ले जा सकता है? ऐसे सवाल उठाकर चुनाव अधिकारियों ने तब आपत्ति क्यों नहीं जताई जब प्राजक्ता वायकर-महाले चुनाव रिटर्निंग ऑफिसर वंदना सूर्यवंशी से सिर्फ २ फीट की दूरी पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रही थीं? याचिका में ऐसे प्रश्नों को उपस्थित किया गया है।
पांडिलकर ़की गतिविधि संदिग्ध
इस संबंध में याचिकाकर्ता भरत शाह ने इस घटना को असामयिक बताया है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने कानून के दायरे में रहकर अपनी भूमिका नहीं निभाई और उन्हें ३ घंटे तक मतगणना केंद्र के बाहर अस्थायी नियंत्रण कक्ष में रहने और फिर २ घंटे के लिए वनराई पुलिस स्टेशन ले जाने के बाद मामले का संज्ञान लिया। भरत शाह ने कहा है कि इस पूरी अवधि के दौरान, रवींद्र वायकर के रिश्तेदार मंगेश पांडिलकर के पास एक संदिग्ध मोबाइल फोन था और वह लगातार मोबाइल फोन का उपयोग कर रहे थे और फोन कॉल रिसीव कर रहे थे। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि मतगणना केंद्र में अवैध रूप से इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन को जब्त करते समय कानूनी तरीके से सील नहीं किया गया था और उस समय उसका पंचनामा भी नहीं किया गया था, जबकि मंगेश पांडिलिकर मतगणना केंद्र में दिनेश गुरव के फोन का उपयोग कर रहे थे। उन्होंने उस मोबाइल फोन का उपयोग ओटीपी लेने और पुनर्मतगणना से पहले ईवीएम को अनलॉक करने के लिए किया था। याचिकाकर्ता ने आशंका व्यक्त की है कि इस मामले में अवैध और भ्रष्ट घटनाओं की एक शृंखला स्पष्ट है, यह एक बड़ा चुनावी घोटाला है और जब भरत शाह ने नेस्को मतदान केंद्र पर ४ जून के सीसीटीवी फुटेज मांगे तो जिला चुनाव अधिकारी ने १४ जून, २०२४ को सूचित किया कि नए नियम के अनुसार, सीसीटीवी फुटेज नहीं दिया जा सकता है।

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