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केंद्र ने हड़पा बुजुर्गों का रु. २२४२ करोड़! … तीन वर्षों में बचाए रेल किराए में छूट के रु. ५,०६२ करोड़

सामना संवाददाता / मुंबई
कोविड काल में वैश्विक महामारी कोरोना के कारण भले ही दुनियाभर की अर्थ-व्यवस्थाओं एवं इंसानों की कमर टूट गई होगी लेकिन रेलवे के लिए कोरोना काल वरदान साबित हुआ है। कहने को तो कोरोना काल में पाबंदियों के कारण रेलवे को कुछ समय के लिए यात्री भाड़े में नुकसान उठाना पड़ा था लेकिन उसी दौरान माल ढुलाई व यात्रियों को दी जानेवाली तमाम रियायतों को बंद करके रेलवे ने मोटी कमाई भी की। यहां तक कि कोरोना काल खत्म होने के बाद भी रेलवे यात्रियों की रियायतें रोककर अपनी तिजोरी भर रहा है। मात्र वर्ष २०२२-२३ में बुजुर्गों को रेल किराए में छूट न देकर रेलवे ने २,२४२ करोड़ रुपए की कमाई की है जबकि २०२० से २०२३ के बीच के पूरे कोरोना काल का हिसाब लगाया जाए तो यह आंकड़ा ५ हजार करो़ड़ के पार जा सकता है।
एक आरटीआई के जरिए जुटाई गई जानकारी के मुताबिक, रेलवे ने बुज़ुर्गों को रेल किराए में दी जाने वाली छूट को बंद करने के बाद २०२२-२३ में २,२४२ रुपए करोड़ का अतिरिक्त राजस्व अर्जित किया। बकौल आरटीआई, १ अप्रैल २०२२ से ३१ मार्च २०२३ के बीच रेलवे ने करीब ८ करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को रेल किराए पर कोई छूट नहीं दी। अर्थात रेलवे ने बुजुर्गों के २२४२ करोड़ हड़प लिए। रेलवे ने बताया कि नेशनल ट्रांसपोर्टर ने २० मार्च, २०२० से ३१ मार्च, २०२२ के बीच १,५०० करोड़ रुपए से अधिक कमा लिया था।
२०२०-२२ के बीच कमाए अतिरिक्त रु. १,५०० करोड़
सीनियर सिटीजन पैसेंजर्स के किराए से रेलवे को होने वाली कमाई में लगातार बढ़ोतरी हुई है। २० मार्च २०२० से ३१ मार्च २०२२ के बीच रेलवे ने ७.३१ करोड़ वरिष्ठ यात्रियों को रियायत नहीं दी। इनमें ६० वर्ष और उससे अधिक आयु के ४.४६ करोड़ पुरुष यात्री, ५८ से अधिक उम्र की २.८४ करोड़ महिला यात्री और ८,३१० ट्रांसजेंडर शामिल थे। वरिष्ठ नागरिक यात्रियों से मिला कुल राजस्व २०२०-२२ के दौरान ३,४६४ करोड़ रुपए था, जो उन्हें रियायत की पेशकश पर होने वाली आय के मुकाबले १,५०० करोड़ रुपए अधिक है।

८ करोड़ बुजुर्गों को नहीं मिली छूट
एमपी के चंद्रशेखर गौर द्वारा सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में रेलवे ने बताया है कि १ अप्रैल २०२२ से ३१ मार्च २०२३ के बीच उसने लगभग आठ करोड़ सीनियर सिटीजन को छूट नहीं दी। इन वरिष्ठ नागरिकों में ४.६ करोड़ पुरुष, ३.३ करोड़ महिलाएं और १८,००० ट्रांसजेंडर शामिल हैं। आरटीआई के जवाब के मुताबिक, इस अवधि के दौरान सीनियर सिटीजन पैसेंजर्स से कुल राजस्व ५,०६२ करोड़ रुपए रहा, जिसमें रियायत के निलंबन के कारण अर्जित अतिरिक्त २,२४२ करोड़ रुपए शामिल हैं।

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