अनिल मिश्रा / उल्हासनगर
उल्हासनगर के समीप से बहने वाली वालधुनी नदी की सफाई को लेकर सरकार ने पांच सौ करोड़ रुपए के करीब खर्च कर चुकी है। उसके बाद भी आज सारे खर्च बेअसर साबित हो रहे हैं। नदी में केमिकल, कचरा बहना कम होने की बजाय दिन-प्रतिदिन बढ़ता दिखाई दे रहा है। इस परिस्थिति को देख अब लोगों को कहते सुना जा रहा है कि केंद्र, राज्य सरकार द्वारा करोड़ों रुपए नदी की सफाई के लिए खर्च करने के बाद भी सफाई अभियान फेल दिखाई दे रहा है।
वालधुनी बचाओ अभियान के प्रमुख शशिकांत दायमा ने बताया कि वालधुनी की सफाई पर पांच करोड़ रुपए के करीब खर्च हो गया है और कितने करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे इसका अंदाजा नहीं है। इसके बावजूद वालधुनी नदी में कचरे के ढेर को फेंकने से रोकने में उल्हासनगर मनपा प्रशासन फेल साबित हो रहा है। इतना ही नहीं कंपनी से निकलने वाला केमिकल दूषित पानी, घरों का दूषित पानी सारे आम नदी में मिल रहा है। दिन-प्रतिदिन बदबू बढ़ रही है। नदी के किनारे निर्माण कार्य काफी बढ़ गया है। एमआयडीसी, महाराष्ट्र सरकार व केंद्र सरकार की प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सारे प्रयास फेल साबित हो रहे हैं। तीन जल शुद्धिकरण केंद्र (उल्हासनगर के शांतिनगर, वाडोल गाव तथा अंबरनाथ) में बनाया गया है। केमिकल कंपनी से निकलने वाले दूषित पानी को ट्रिट कर 17 किलोमीटर दूर कल्याण की खाड़ी मे छोड़ने का अभियान था। लगाई गई पाइप लाइन मानसून में कई जगह से बह गई। दायमा ने आगे बताया कि वालधुनी सफाई मामले को लेकर न्यायालय ने भी दखल दिया। न्यायालय के द्वारा आदेश दिया गया। इसके बाद भी वालधुनी जो एक इतिहासिक नदी नाला बनने की स्थिति में पहुंच गई है। दर्द इस बात का है कि सरकार पीने के पानी के स्रोत का इसी तरह से अनदेखी करती रही तो लोगों को पानी-पानी करना पड़ेगा। निकट भविष्य में पानी के लिए अकाल पड़ जाएगा। पानी कब तक खरीद कर पिया जा सकेगा! उल्हास नदी भी दूषित हो रही है। सौ के करीब नाले, घरेलू पानी, कंपनी का दूषित पानी नदी मे छोड़ा जा रहा है। सरकार नई नई योजना शुरू तो कर रही है। उस पर करोड़ रुपए खर्च भी कर रही है, परंतु योजना का जनहित में काम नहीं हो रहा है। केवल योजना के नाम पर करोड़ रुपए पानी में बहाये जा रहे हैं। नदी की ऐसे ही उपेक्षा, अनदेखी होती रहेगी तो भविष्य के ऊंची इमारतें तो दिखेगी, परंतु शुद्ध पानी को लेकर भविष्य की पीढी अपने पूर्वजों को कोसेगी। आज प्रशासन के सारे सफाई के दावे झूठे साबित हो रहे हैं।
बदलापुर एमआयडीसी के मुख्य अभियंता अनिल सालुंखे ने बताया कि 17 किलोमीटर दूरी तक पाइप लाइन डालकर उसके मार्फत कंपनी ने केमिकल पानी को कल्याण के गांधारी पुल के पास पानी की प्रक्रिया कर, ट्रीटमेंट कर, पीएचई को मेंटेन कर छोड़ रहे हैं, जबकि प्रशासन को पता ही नहीं है कि उक्त 17 किलोमीटर लगाई गई पाइप की लाइन कई जगह पर टूट कर पानी में बह गई है।