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मनपा के वाहनों की हालत खस्ता …करोड़ों के वाहन पांच वर्ष में हुए भंगार

अनिल मिश्रा / उल्हासनगर
उल्हासनगर मनपा के वाहन विभाग में तीन एंबुलेंस, तीन स्वर्गरथ और एक जनाजा जैसे वाहन शामिल हैं, जो बीमारों को अस्पताल ले जाने के साथ ही शवों को शमशान घाट तक पहुंचाते हैं। मनपा द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर लाए गए वाहनों की दशा दयनीय है। इन वाहनों की प्रतिदिन केमिकल से सफाई, नियमित मरम्मत और उचित देखभाल होनी चाहिए, जो नहीं हो रही है। मनपा में स्थाई वाहन चालक होने पर गाड़ी का विशेष ध्यान रखा जाता है, परंतु ऐसा न होने के कारण मनपा का एंबुलेंस, स्वर्गरथ और जनाजा वाहन, जिन्हें जल्द ही लिया गया था, भंगार की तरह दिखाई दे रहे हैं।
मनपा के वाहन विभाग के एक सूत्र ने बताया कि एक समय था जब मनपा में ही वाहनों की हवा चेकिंग वगैरह की जाती थी। वाहन चालक मनपा में ही अपनी गाड़ी को धोकर साफ-सुथरा करते थे, लेकिन गाड़ी धोने की पाइप गायब हो गई है। मरीजों को मुंबई ले जानेवाली एंबुलेंस में सहायक होना चाहिए जो नहीं रहता। गाड़ी के टायरों की नियमित जांच होनी चाहिए, जो नहीं होती। गाड़ी को शेड में खड़ा करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं होता। धूप, बरसात और सर्दी में गाड़ियों को खड़ा करने से एक-दो साल में ही उनका रंग बदरंग हो जाता है। देखा गया है कि सरकारी देखरेख में चलने वाली गाड़ियां कुछ ही वर्षों में भंगार दिखने लगती हैं, जबकि आरटीओ द्वारा निजी वाहनों के स्व्रैâप होने की समय सीमा पंद्रह साल है। उचित देखभाल के चलते गैर सरकारी वाहन पंद्रह वर्ष के बाद भी नए बने रहते हैं और उनकी चमक बरकरार रहती है। अंबरनाथ के विधायक डॉ. बालाजी किणीकर, हरदास थारवानी द्वारा दिया गया स्वर्गरथ भंगार हो गया है। वाहनों की दशा भंगार होने के पीछे एक तर्क यह भी है कि विभाग प्रमुख विनोद केने पर स्वास्थ्य निरीक्षण, वाहन प्रमुख जैसे कई विभागों का भार है, जिसकी वजह से वाहनों की दशा की तरफ ध्यान नहीं दिया जा रहा है। विनोद केने की प्रतिक्रिया जानने के लिए उनसे मोबाइल पर संपर्क किया गया, परंतु उनकी प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।

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