सामना संवाददाता / मुंबई
भाजपा सरकार के राज में देश बेहाली की ओर बढ़ रहा है। यही कारण है कि आर्थिक अनुमान जाहिर करने वाली रेटिंग एजेंसियों ने वित्त वर्ष २०२५ के लिए हिंदुस्थान की ‘जीडीपी’ की वृद्धि दर के अपने अनुमान में भारी कटौती की है।
गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में हिंदुस्थान की जीडीपी वृद्धि ५.४ फीसदी रही, जो पिछली सात तिमाहियों में सबसे कम थी। इसे देखते हुए रेटिंग एजेंसियों ने यह कदम उठाया है। वित्त वर्ष २०२५ की पहली छमाही यानी अप्रैल से सितंबर की अवधि में हिंदुस्थान की आर्थिक वृद्धि ६ फीसदी रही। मगर आरबीआई ने वित्त वर्ष २०२५ के लिए ७.२ फीसदी वृद्धि का अनुमान जाहिर किया है। वित्त मंत्रालय ने भी उम्मीद जताई है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि ६.५ से ७ फीसदी के दायरे में रहेगी। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ६ दिसंबर को होने वाली समीक्षा बैठक में जीडीपी वृद्धि के लिए अपने अनुमान में संशोधन कर सकती है। इस बारे में एचडीएफसी बैंक की प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा कि दूसरी तिमाही के आंकड़े उम्मीद से कम रहे। इसलिए पूरे साल के लिए वृद्धि अनुमान को ६.८ फीसदी से घटाकर ६.५ फीसदी कर दिया गया है और उसमें आगे गिरावट का जोखिम भी बरकरार है। सेवा और विनिर्माण पीएमआई (पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स) सितंबर के निचले स्तर से बढ़े हैं, जो आर्थिक गतिविधियों में सुधार का संकेत है। जीएसटी संग्रह, ई-वे बिल और टोल राजस्व जैसे अन्य प्रमुख संकेतकों में भी अक्टूबर में सुधार हुआ है। जहां तक मांग की बात है तो ग्रामीण मांग शहरी मांग से आगे निकलती दिख रही है। ग्रामीण बाजार पर केंद्रित कारोबार यानी दोपहिया वाहनों और ट्रैक्टरों की बिक्री में भी अक्टूबर में दो अंकों की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके अलावा आठ प्रमुख बुनियादी ढांचा उद्योगों की वृद्धि भी अक्टूबर में ३.१ फीसदी पर तीन महीने की ऊंचाई पर रही। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा कि वह वित्त वर्ष २०२५ के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को ६.६ फीसदी से घटाकर ६.३ फीसदी कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में नरमी मुख्य तौर पर शहरी मांग और सामान्य सरकारी पूंजीगत व्यय में गिरावट से प्रेरित थी।
एचडीएफसी बैंक की प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा कि दूसरी तिमाही के आंकड़े उम्मीद से कम रहे। इसलिए पूरे साल के लिए वृद्धि अनुमान को ६.८ फीसदी से घटाकर ६.५ फीसदी कर दिया गया है और उसमें आगे गिरावट का जोखिम भी बरकरार है।