-दाल-रोटी को परेशान, कमाई २० हजार से भी कम
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
देश में मेहनतकश मजदूर वर्ग यानी ब्ल्यू कॉलर वर्कर्स इन दिनों बेहद बुरे दौर से गुजर रहे हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में अधिकतर ब्लू कॉलर जॉब यानी मजदूरी के काम में तनख्वाह २० हजार रुपए या इससे भी कम है और आज महंगाई के दौर में यह तबका वित्तीय तनाव से गुजर रहा है। इस महंगाई की दलदल में मजबूर वर्ग दम तोड़ता दिख रहा है। अपने रोजमर्रा की जरूरतों में ही वह परेशान नजर आ रहा है। उसे आवास, चिकित्सा और शिक्षा जैसी जरूरतों को पूरा करने में भारी मुश्किल हो रही है। यह जानकारी ब्लू कॉलर भर्ती प्लेटफॉर्म वर्क इंडिया की एक रिपोर्ट से मिली है। इससे देश की वर्कफोर्स के एक बड़े हिस्से की आर्थिक मुश्किलों का पता चलता है।
वर्क इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, ५७.६३ प्रतिशत से अधिक ब्लू कॉलर जॉब वाले लोग हर महीने २० हजार रुपए या इससे भी कम कमाते हैं। यह रकम देश में न्यूनतम वेतन सीमा के करीब है। करीब २९.३४ प्रतिशत ब्लू-कॉलर जॉब वाले मिडल इनकम वैâटेगरी में हैं। उनका वेतन २० से ४० हजार रुपए के बीच है। इस कमाई में जरूरतें तो पूरी हो जाती हैं, लेकिन बचत या फिर निवेश के लिए गुंजाइश काफी कम बचती है। सिर्फ १०.७१ फीसदी लोगों को ४० से ६० हजार रुपए महीना का वेतन मिलता है, लेकिन इनके पास भी बचत के नाम पर कुछ नहीं होता। नौकरियां अमूमन दो तरह की होती हैं, जो व्हाइट कॉलर और ब्लू कॉलर कही जाती हैं। व्हाइट कॉलर में दफ्तरों में काम करनेवाले पेशेवर लोग आते हैं, जिन्हें शारीरिक मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ती, वहीं ब्लू कॉलर में शारीरिक तौर पर अधिक मेहनत करनेवाले लोग आते हैं, जिन्हें अपेक्षाकृत कम तनख्वाह मिलती है। जैसे कि वेल्डर, मैकेनिक, किसान, रसोइया, ड्राइवर आदि।