- आनेवाले दिनों में और महंगा हो सकता है होम-कार लोन
- आरबीआई फिर कर रहा रेपो रेट बढ़ाने की तैयारी
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
अमेरिकी सेंट्रल बैंक ‘फेडरल रिजर्व’ द्वारा बुधवार से ब्याज दरों में फिर से की गई बढ़ोतरी का साइड इफेक्ट हिंदुस्थान में भी दिखने की आशंका जताई जा रही है। आर्थिक विश्लेषकों का कहना है कि अब भारतीय रिजर्व बैंक भी अपने रेपो रेट को एक बार फिर बढ़ाने को मजबूर हो गया है और इससे हिंदुस्थान में कर्ज और महंगा हो जाएगा। नतीजतन ब्याज बढ़ने से किश्त की रकम लोगों के बूते से बाहर पहुंचेगी और लोगों के अपने घर के सपने पर ग्रहण लग सकता है।
बता दें कि अमेरिकी ‘फेडरल रिजर्व’ की ब्याज दरों में २५ बेसिस प्वाइंट बढ़ोतरी हुई है। इससे अमेरिका में ब्याज दर बढ़कर ४.७५ फीसद से ५ फीसद हो गई है। आने वाले दिनों में इसके परिणाम स्वरूप हिंदुस्थान में होम या कार लोन और महंगा हो सकता है। इस बारे में जानकारों का कहना है कि आरबीआई ६ अप्रैल को होने वाली द्विमासिक मौद्रिक नीति में रेपो रेट में २५ बेसिस प्वॉइंट्स की और बढ़ोतरी कर सकता है। इसके पीछे उन्होंने वजह महंगाई के ६ फीसदी के निर्धारित स्तर से ज्यादा बने रहने और यूएस फेड के आक्रामक रुख को बताया है।
एमपीसी की बैठक पर नजर
गौरतलब हो कि रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की बैठक तीन दिन ३, ५ और ६ अप्रैल को होने वाली है। वित्त वर्ष २०२३-२४ के लिए पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति लाने से पहले अलग-अलग घरेलू और वैश्विक कारणों पर विचार करेगी। जिन दो बातों पर कमेटी अगली मॉनेटरी पॉलिसी बनाते समय विस्तार से चर्चा करेगी, उनमें बढ़ी हुई रिटेल महंगाई और विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा हाल ही में लिए गए फैसले खासकर यूएस फेडरल रिजर्व, यूरोपीय सेंट्रल बैंक और बैंक ऑफ इंग्लैंड शामिल हैं।
दस महीने से बढ़ रहा रेपो रेट
गौरतलब हो कि महंगाई को काबू में लाने के नाम पर आरबीआई मई २०२२ से बेंचमार्क रेट्स में बढ़ोतरी कर रहा है। फरवरी में हुई पिछली नीति बैठक में आरबीआई ने नीतिगत दर या रेपो रेट में २५ बेसिस प्वॉइंट्स की बढ़ोतरी करके ६.५० फीसदी कर दिया था। लेकिन उसके बाद रिटेल महंगाई आरबीआई द्वारा निर्धारित स्तर से पार चली गई थी। जनवरी में कंज्यूमर प्राइस इंडैक्स (सीपीआई) पर आधारित महंगाई ६.५२ फीसदी और फरवरी में ६.४४ फीसदी रही थी। अर्थात महंगाई पर रेपो रेट में वृद्धि का कोई खास प्रभाव अब तक नहीं दिखा है और देश में कर्ज लगातार महंगा ही हो रहा है।