सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई के मिल मजदूरों को मुंबई में घर देने के लिए शहर और उपनगर में जगह नहीं बची है। यह बात गृह निर्माण मंत्री अतुल सावे ने स्पष्ट शब्दों में विधानसभा में कबूल की। इसलिए मिल मजदूरों को मुंबई में घर का जो सपना था, वह चकनाचूर हो गया है। अब मुंबई के मिल मजदूरों को मुंबई से बाहर घर के लिए प्रतिक्षा करना होगा। इस संदर्भ में भाजपा विधायक सुनील राणा ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से उपस्थित किया था। इस चर्चा का उत्तर देते हुए गृह निर्माण मंत्री ने कहा कि मुंबई में कुल ५८ बंद अथवा बीमार मिलों में से ३२ निजी मालिकों, २५ राष्ट्रीय वस्त्रोद्योग महामंडल और महाराष्ट्र राज्य उद्योग महामंडल की एक मिल का समावेश है। इन ५८ मिलों में से ११ मिलों में पुनर्विकास का प्रस्ताव मंजूर न होने के कारण महाडा का हिस्सा निश्चित नहीं हुआ है। बाकी ४७ मिलों में से १० मिलों में म्हाडा का हिस्सा शून्य है। वर्तमान स्थिति में ३३ मिलों में १३.७८ हेक्टेयर जमीन का प्रत्यक्ष रूप से म्हाडा को अधिकार प्राप्त नहीं हुआ है। बाकी चार मिलों को मिलाकर १० हजार १९२ वर्ग मीटर जमीन का हिस्सा निश्चित हुआ है। परंतु अब तक उस जमीन का अधिकार म्हाडा को हस्तांतरित नहीं हुआ है, ऐसा उन्होंने स्पष्ट किया।
ठाणे में देंगे जगह
मुंबई के मिल मजदूरों के लिए मुंबई में जगह उपलब्ध न होने के कारण उन्हें सहूलियत दर से म्हाडा के मार्फत घरों का निर्माण करके ४३.४५ हेक्टेयर सरकारी जमीन नि:शुल्क ठाणे में देने की बात राज्य सरकार के पास विचाराधीन है। इस जमीन में से २१.८८ हेक्टेयर जमीन पर म्हाडा के मार्फत मिल मजदूरों के लिए घर बनाना आसान है, ऐसी रिपोर्ट ठाणे जिलाधिकारी के यहां से प्राप्त हुई है, ऐसी जानकारी सावे ने दी।