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मुंबई में हो रहे हैं दनादन तलाक! …प्रतिदिन दर्ज हो रहे १५-२० तलाक के मामले

• चंद दिनों, महीनों, वर्षों में ही टूट जा रहे हैं रिश्ते
सामना संवाददाता / मुंबई
शादी एक प्यारा बंधन होता है। शादी के दौरान सात जन्मों तक साथ निभाने का वादा किया जाता है। वर्तमान समय में सात जन्म की बात कौन करे, एक जन्म में भी जोड़े साथ नहीं निभा पा रहे हैं। पति-पत्नी का रिश्ता छोटे-छोटे कारणों की वजह से टूट जा रहे हैं। बता दें कि इस मामले में देश की आर्थिक राजधानी मुंबई काफी आगे निकल चुकी है। यदि मुंबई को `तलाक’ की राजधानी कहें तो गलत नहीं होगा। दरअसल, अकेले मायानगरी मुंबई में प्रतिदिन १५ से २० तलाक के मामले दर्ज हो रहे हैं। हैरानी वाली बात यह है कि इसमें से कई तलाक शादी के एक दिन, एक सप्ताह या एक महीने के भीतर ही हो जा रहे हैं। इतना ही नहीं हद तो यह है कि जिन मुद्दों पर तलाक की मांग की जा रही है वो और भी हैरान करने वाले हैं।
बता दें कि इनमें मेरा पति रात को खर्राटे लेता है। मेरे पति ने मुझे रिसेप्शन पर कपड़े चेंज करने नहीं दिया। मेरा पति रात को घर देर से आता है। मेरा पति घर आते ही सो जाता है। मुझे पार्टी में टू पीसेज पहनने नहीं दिया जाता, जैसे महत्वहीन मुद्दों पर तलाक की अर्जियां कोर्ट में पड़ती हैं। मिले आंकड़ों के मुताबिक, तलाक के मामलों में १५० फीसदी की बढ़ोतरी भी मुंबई में दर्ज की जा चुकी है। मुंबई में प्रतिदिन १५ से २० तलाक के मामले दर्ज हो रहे हैं और इन आकड़ों के साथ देश की आर्थिक राजधानी तलाक की राजधानी बन चुकी है।
पति ने तवज्जो नहीं दी
मिली जानकारी के अनुसार, एक महिला ने अपने पति पर तलाक का मुकदमा शादी के महज चंद महीने के भीतर दायर कर दिया। इसके पीछे की बात यह कि महिला को रिसेप्शन के वक्त कपड़ा नहीं बदलने दिया गया। इसके अलावा शादी के बाद जब तस्वीरें सेलेक्ट की जा रही थीं तो महिला की ननद द्वारा पसंद की गई तस्वीर को पति ने तवज्जो दी। एक दिन बाद उन्हें खिचड़ी खाने को दिया गया। उनके पति अपनी बहन के माथे पर किस करते हैं। बांद्रा के पैâमिली कोर्ट में इन्हीं बातों को आधार बनाकर डिवोर्स की पिटीशन फाइल की है।
एक अन्य महिला को संगीत का शौक था। इस बात की जानकारी शादी से पहले उसने अपने पति को दी थी लेकिन शादी के बाद जब उनके पति ने संगीत से इनकार कर दिया तो मामला तलाक तक पहुंच गया। संगीत के बदले सुर के साथ महिला ने तलाक ले लिया। हैरत की बात है कि महिला को अफसोस तक नहीं है।
चरम पर लोगों में तनाव का लेवल
इस तरह के हैरतअंगेज तलाक के मामले क्यों हो रहे हैं? इस पर मनोचिकित्सकों का कहना है कि लोगों में तनाव का लेवल अपने चरम पर है। मुंबई जैसे शहर में लोगों की सहनशक्ति बहुत कम हो चुकी है, जिसके पीछे आपाधापी भरा जीवन सबसे महत्वपूर्ण है। आम लोग समझ रहे हैं कि उनका रिश्ता जिससे खराब हो रहा है, वो असली वजह ही नहीं है। इसको साइकोलॉजिकल डिसऑर्डर कहते हैं। लोग डॉक्टर से भी संपर्क नहीं करते हैं।

लिव इन रिलेशनशिप को तरजीह
हैरत की बात सिर्फ ये आंकड़े नहीं हैं, बल्कि तलाक की प्रकृति और प्रवृत्ति भी है। आज सात जन्मों तक जिंदगी साथ निभाने वाला शादी का रिश्ता और संस्कार महज एक दिन, एक महीना या एक साल में टूटने लगा है। विवाह का यह संस्कार इतना कमजोर क्यों पड़ता जा रहा है? आलम यह है कि लोग लिव इन रिलेशनशिप तक को तरजीह दे रहे हैं।

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