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`ईडी’ सरकार का गजब खेला… समाज में फैला रही है जातिवाद की ‘बीमारी’!

  • मनमाड के अस्पताल में मरीजों को जाति बताना हुआ अनिवार्य
  • विपक्ष ने उठाए सरकार के इरादों पर सवाल

सामना संवाददाता / मुंबई
एक तरफ केंद्र की मोदी सरकार बिहार में जाति आधारित जनगणना का विरोध कर रही है, तो वहीं महाराष्ट्र में सीएम एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली ‘भाजपाई’ सरकार मरीजों के साथ जाति-पाति का गजब खेल, खेल रही है। ईडी सरकार के शासनकाल में महाराष्ट्र में स्वास्थ्य के नाम पर जातिवाद की बीमारी को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। कुछ ऐसा ही मामला महाराष्ट्र के नासिक जिले के मनमाड तालुका अंतर्गत उपजिला अस्पताल में सामने आया है। अस्पताल में ‘पहले जाति बताइए, उसके बाद इलाज कराइए’, इस तरह से मरीजों का इलाज करने की विवादित सरकारी नीति के खिलाफ अब विपक्ष ने आवाज बुलंद की है। इसे लेकर बखेड़ा खड़ा हो गया है।
‘सबका साथ, सबका विकास’ का दावा करनेवाली महाराष्ट्र की ‘ईडी’ सरकार के कार्यकाल में इस तरह का काम हो रहा है, जिसे लेकर विपक्ष ने जोरदार आवाज उठाई है और संबंधितों पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की गई है। प्रगतिशील महाराष्ट्र में ऐसा कभी नहीं हुआ, लेकिन अब जाति के आधार पर इलाज का मापदंड रखा जा रहा है। मनमाड उपजिला अस्पताल में इलाज कराने के लिए मरीजों से पहले उनकी जाति पूछी जा रही है। अस्पताल में मरीजों की जानकारी भरने के लिए ‘केस पेपर’ में जाति का सेक्शन रखा गया है और जाति लिखना अनिवार्य किया गया है। अब सवाल उठने लगे हैं कि यह इलाज का कौन सा तरीका है? यह तो संविधान विरोधी, मानवता विरोधी, राज्य सरकार की संवेदनहीनता, बीमार मानसिकता को दर्शाता है। उपचार के लिए आनेवाले मरीजों से जाति पूछना यानी जातिवाद को बढ़ावा देना है। सरकारी या निजी अस्पताल में इलाज के लिए आनेवाले किसी भी मरीज से उसकी जाति नहीं पूछी जानी चाहिए।

आक्रामक हुआ विपक्ष
इसे लेकर विपक्ष ने जोरदार आवाज उठाई है। नेता प्रतिपक्ष अजीत पवार का कहना है कि यह तो सांप्रदायिक और धार्मिक विवाद को बढ़ावा देने का मामला है। उन्होंने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पत्र लिखकर इस तरह के जातीय व धार्मिक विवादों को बढ़ावा देनेवाले मसलों को तत्काल रोकने की मांग की है। उनका कहना है कि किसी भी सरकारी या निजी अस्पताल में इलाज के लिए आनेवालों मरीज से उसकी जाति नहीं पूछी जानी चाहिए। इससे पहले इस तरह का मामला पिंपरी-चिंचवड़ मनपा अस्पताल में भी सामने आया था।

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