डाॅ.कमलकांत उपमन्यु
मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा-संस्थान द्वारा रविवार की सांय 5:30 बजे भव्य और दिव्य शोभायात्रा के मध्य ठाकुरजी को पोषाक एवं श्रृंगार अर्पित किया गया। ढोल, नगाड़े, मृदंग, झांझ, मजीरे, डमरू आदि की मधुर ध्वनि के मध्य मंगल परिधान पहने भक्तों, देश के विभिन्न भागों से पधारे रसिक कलाकार इस शोभायात्रा में सम्मिलित होकर स्वयं तो अलौकिक आनन्द की प्राप्ति कर ही रहे थे, ऐसी दिव्य शोभायात्रा के दर्शन कर श्रीकृष्ण-जन्मस्थान पर पधारे हजारों भक्त भी आनन्द से सराबोर होकर नृत्य कर रहे थे।
इस संबंध में जानकारी देते हुए श्रीकृष्ण-जन्मस्थान सेवा-संस्थान के सचिव कपिल शर्मा एवं सदस्य व हिंदूवादी नेता गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि शोभायात्रा सर्वप्रथम श्रीकेशवदेवजी मंदिर में पहुंची एवं भगवान श्रीकेशवदेवजी को पोषाक-श्रृंगार अर्पित करने के उपरान्त मॉं योगमाया का पूजन कर पोषाक-श्रृंगार अर्पित किया। तदोपरान्त नाचते, झूमते, मस्ती में सराबोर रसिक भक्तजन ने श्रीगर्भ-गृह मंदिर में पोषाक अर्पित की। ‘सोम-चन्द्रिका’ पोषाक, रत्नजड़ित कण्डा, स्वर्ण व रजत के आभूषण, पूजा-पात्र आदि भागवत भवन में विराजमान श्रीराधाकृष्णजी युगल सरकार को अर्पित किये गये। वेद-ध्वनि, मंगल-ध्वनि एवं मंत्रोच्चारण के बीच ठाकुुरजी को पोषाक-श्रंगार अर्पित किये जाने के मध्य देश के विभिन्न भागों से पधारे कलाकार, मंगल वाद्ययंत्र वादक और भक्तजन उल्लास और मस्ती में उद्दाम हरिनाम संकीर्तन के मध्य नृत्य कर रहे थे।
पोषाक अर्पण के उपरान्त श्रीकृष्ण-जन्मस्थान सेवा-संस्थान के सचिव द्वारा 5251 गौघृत के दीपों को परिसर में स्थित श्रीगिरिराज महाराज के श्रीविग्रह के सन्मुख भगवान के विशिष्ट जन्मदिवस 5251 के उपलक्ष्य में इन दीपों को ठाकुरजी को अर्पित किये। इस अवसर पर बहुत बड़ी संख्या में भक्तों ने ऐसे दीपोत्सव के दर्शन कर उसमें सहभागिता की।