धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
महाराष्ट्र में महायुति सरकार के शासन में अब संशोधित शिक्षक समूह को मंजूरी और छात्रों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने की दिशा में काम करनेवाले शिक्षकों की निजी भर्ती की जानेवाली है। इससे न केवल राज्य के स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरेगा, बल्कि राज्य के दो लाख छात्रों का भविष्य अंधकारमय होने की भी आशंका जताई जा रही है। हालांकि, इसे लेकर राज्य के सभी शिक्षा संगठनों ने जोरदार तरीके से आपत्ति जताई है। इसके साथ ही दोनों शासनादेशों को रद्द करने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि महायुति सरकार ने प्रदेश में संशोधित शिक्षक समूह की मान्यता और संविदा शिक्षक भर्ती के निर्णय को क्रियान्वित करने की भूमिका निभाई है। स्कूली शिक्षा विभाग की समूह की मान्यता के कारण बच्चों को नि:शुल्क व अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम २००९ की धारा २५ की अवहेलना हो रही है। इस शर्त के कारण २१ से ६० छात्र संख्या वाले, किंतु १ से ४ अथवा १ से ५ कक्षाओं वाले राज्य के २९,७८६ स्कूलों को केवल दो ही शिक्षक मिलेंगे। इससे एक शिक्षक को दो से तीन कक्षाओं को पढ़ाना पड़ेगा। इसका राज्य के सभी शिक्षक संगठनों ने कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि अगर इस पर अमल शुरू हुआ तो राज्य के ग्रामीण इलाकों के १ लाख ८५ हजार छात्र-छात्राओं और २९ हजार से ज्यादा शिक्षकों के भविष्य पर संकट मंडराने की आशंका है। इस आशंका को देखते हुए दोनों ही पैâसलों के खिलाफ राज्य भर के सभी शिक्षक संगठन एकजुट हो गए हैं और सरकार से इन्हें रद्द करने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही आगामी २५ सितंबर को सभी प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक सामूहिक अवकाश लेकर हर जिलाधिकारी कार्यालय पर मोर्चा निकालने जा रहे हैं।
अध्ययन-अध्यापन के बढ़ेंगे घंटे
महाराष्ट्र निजी स्कूल कर्मचारी सेवा शर्तें नियम, १९८१ के नियम २१ के तहत, शिक्षकों को क्रमश: १९, १८ और १७ घंटे तक बढ़ाया जाएगा। यदि कक्षा पांच से आठवीं तक छात्रों की संख्या २० से कम है तो केवल एक शिक्षक का पद स्वीकृत किया जाएगा। ग्रामीण और आदिवासी इलाकों के हजारों स्कूलों को शिक्षक नहीं मिलेंगे। चूंकि विशेष शिक्षकों के पद राज्य के कुल मूल पदों की सीमा के भीतर ही स्वीकृत किए जाएंगे।