महाराष्ट्र में अगले महीने विधानसभा चुनाव होने वाला है। उत्तर भारतीय विकास सेना के नेता सुनील शुक्ला पश्चिम बांद्रा निर्वाचन क्षेत्र से लॉरेंस बिश्नोई की तरफ से नामांकन दाखिल करना चाहते हैं। यह निर्वाचन क्षेत्र राकांपा के दिवंगत नेता बाबा सिद्दीकी का था। समझ यह नहीं आता कि इस तरह की बातों से ऐसे लोग क्या साबित करना चाहते हैं। गैंगवार को लेकर देश विषम परिस्थितियों से गुजर रहा है जिसको लेकर हर कोई चाहता है कि देश में अमन-चैन बना रहे लेकिन सुनील शुक्ला जैसे लोग ऐसी बातें करके युवाओं के भविष्य को गलत हवा दे रहे हैं। बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद से कुछ लोग लाॅरेंस बिश्नोई की सोशल मीडिया पर प्रशंसा कर रहे हैं और उसे कई तरह की उपाधियों से नवाजा जा रहा है और सबसे बड़ा दुर्भाग्य यह है कि युवा, लारेंस को अपना आदर्श मान रहे हैं। लेकिन यह लोग इतनी सी बात नहीं समझ रहे कि मौत का खेल दूर से देखने में ही मजा आता है, खुद खेलने में जिंदगी में आग लग जाती है। भारतीय राजनीति में कड़े नियम कानून न होने की वजह से इस तरह की तमाम तरह की आजादी है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि अपराधी भी चुनाव लड़ सकता है और आश्चर्य की बात वह किसी सजा का आरोपी भी है और जेल में है तब भी चुनाव लड़ सकता है। इससे एक बात तो तय है कि हमारे संविधान में एक तो छूट है कि जो लोग संविधान की धज्जियां उड़ा सकते हैं उसको संविधान संचालन प्रक्रिया का हिस्सा बनाया जा सकता है। आखिर ऐसे प्रावधान में बदलाव क्यों नहीं हो सकता। क्या इस तरह की संचालन प्रक्रिया आने वाले मौजूदा व आने वाले समय में युवाओं को नकारात्मकता की ओर नहीं ले जाएगी? चुनाव लड़ना देश की सेवा के लिए प्रेरित करने के लिए होना चाहिए या शक्ति प्रदर्शन दिखाने के लिए ? आजकल लोगों की सोच तो शक्ति प्रदर्शन दिखाने की ओर इशारा कर रही है। हमें ऐसी सोच पर नियंत्रण पाना होगा चूंकि चुनाव लड़ने का मतलब केवल सत्ता पर काबिज होना ही समझेंगे। यदि लाॅरेंस बिश्नोई जैसे गैंगस्टर चुनाव लड़ते हैं तो इस बात क्या अर्थ निकाला जा सकता है। मतलब जिससे देश असुरक्षित महसूस कर रहा है और सुनील कौशिक जैसे लोग उनके हाथ में जनता की सुरक्षा देने चाहते हैं। जो पार्टी या नेता गलत व सही के बीच फर्क नही समझ सकती उससे राष्ट्रीय स्तर की मान्यता से बर्खास्त कर देना चाहिए चूंकि जब उनके मंसूबे इस तरह के हैं तो उससे सकारात्मक राष्ट्र के निर्माण की उम्मीद करना बेमानी सा होगा। गुणवत्ता पर बात,मुद्दों पर बात हो,तथ्यात्मक घटनाओं पर बात हो,हमें इस तरह की पार्टी व नेता की जरूरत है। इस आधार पर राजनीतिक पार्टी छोटी हो बडी सबको अपना कर्तव्य को याद रखना होगा चूंकि आप सभी समाज को लीड करते हो जिसकी वजह से जैसा आप कहते व प्रस्तुत करते हो वैसे राष्ट्र का निर्माण होता है। किसी भी गलत व्यक्ति के विषय में आप इस तरह की बाते करेंगे तो निश्चित तौर समाज में गलत संदेश जाएगा।
योगेश कुमार सोनी
वरिष्ठ पत्रकार