सामना संवाददाता / बरेली
यूपी में भाजपा की योगी सरकार में स्वास्थ्य विभाग की आड़ में चल रहे खेल में फिर फर्जी एडमिशन का जिन्न निकल कर सामने आ गया है। बरेली में पीलीभीत बाईपास पर इंडियन पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट नाम से फर्जी कॉलेज का हो रहा संचालन का राज तब खुला जब पुलिस ने गुरुवार को कॉलेज में छापा मारा। जानकारी के अनुसार, इंडियन पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट में विभिन्न कोर्स के करीब एक हजार से ज्यादा विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग में कॉलेज का पंजीकरण नहीं है। हैरत की बात यह है कि बीते दो-तीन वर्षों से इस कॉलेज का संचालन हो रहा था। हर साल विद्यार्थियों के दाखिले भी लिए जाते रहे। जांच में कॉलेज के फर्जी संचालन का खुलासा होने पर विद्यार्थियों के होश उड़ गए। छात्र-छात्राओं ने कॉलेज के बाहर एकजुट होकर कॉलेज संचालक डॉ. विनोद कुमार के खिलाफ नारेबाजी की। कॉलेज में छात्रों से ८० हजार से दो लाख तक फीस वसूली जा रही थी। डॉक्टर विनोद कुमार ने इससे पहले हिंदुस्तान अस्पताल का फर्जी संचालन किया था। छापा में पुष्टि के बाद यह अस्पताल साल २०१६ में बंद कराया गया था। इसके बाद इंडियन पैरामेडिकल इंस्टीट्यूट नाम से फर्जी कॉलेज खोल लिया था।
सलेक्शन के दौरान फर्जी सर्टिफिकेट का खुलासा
कुशीनगर में हाटा कोतवाली क्षेत्र में पैरामेडिकल कॉलेज के संचालन और फर्जी मार्कशीट देने का मामला सामने आया। इसके चलते यहां पढ़ने वाले करीब चार सौ बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है। फर्जी मार्कशीट और पैरामेडिकल मान्यता का खुलासा उस समय हुआ जब सरकार द्वारा निकाली गयी एएनएम की वैकेंसी में एक छात्रा के सलेक्शन के बाद ज्वाइनिंग में प्रमाणपत्रों की जांच की गई। इसमें छात्रा का प्रमाणपत्र फर्जी पाया गया। इसके बाद छात्रों ने कॉलेज संचालन के विरुद्ध कार्यवाही और प्रत्येक छात्र से फीस के नाम पर की गई लाखों की वसूली को वापस करने की मांग शुरू कर दी। पिपरा बाजार की रहने वाली फर्जीवाड़े की शिकार छात्रा मुन्नी ने बताया कि हाटा नगरपालिका के पगरा में जननी पैरामेडिकल नर्सिंग साइंस इंस्टीट्यूट एंड जननी हॉस्पिटल नाम से वर्ष २०१८ में क्षेत्रीय भाजपा विधायक पवन केडिया द्वारा उद्घाटन के बाद खोला गया था।
गोरखपुर में पकड़ा गया फर्जी पैरामेडिकल कालेज
बस्ती शहर के मड़वानगर स्थित मां वैष्णो पैरामेडिकल कालेज की सच्चाई आखिरकार उजागर हो ही गई। कालेज को सील करते हुए दो लोगों को हिरासत में लिया गया। बता दें कि पैरामेडिकल कालेज के कथित चिकित्सक छात्राओं को गुमराह कर विभिन्न विषयों में डिप्लोमा कराने के नाम पर प्रवेश लेते थे बाद में फर्जी डिग्री बांट कर पैसा हड़प लेते थे। इस मामले से पर्दा तब उठा जब यहां की छात्राओं ने जिलाधिकारी से इसकी शिकायत की। शिकायत मिलने के बाद डीएम ने स्वास्थ्य विभाग को मामले की जांच सौंपी। जांच अधिकारी डिप्टी सीएमओ डॉ. सीएल कन्नौजिया ने मामले की जांच करने के बाद प्रशासन को रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट में फर्जीवाड़ा पाया गया। डिप्टी सीएमओ ने बताया कि जिस तथ्य पर संचालक दावा कर रहा था कि कालेज नियमानुसार चल रहा, वह बिल्कुल गलत साबित हुआ।
मंत्रियों से सेंटिंग कर चला रहे फर्जी पैरामेडिकल संस्थान
मुंशीनगर में मंत्रियों से सेंटिंग कर संचालक राइट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल आईटी एवं मैनेजमेंट का फर्जी संस्थान चला रहे हैं। संस्था संचालक सादे कागज पर अपना शपथपत्र लिखकर जमा कर देते थे। दस्तावेज जमा होने पर डीएमओ द्वारा शपथ पत्र सौ रुपए के स्टांप पर मांगने पर संस्था संचालक स्टांप पर शपथपत्र नहीं देते हैं और उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज नहीं होती। राइट्स इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल आईटी एवं मैनेजमेंट का फर्जी यूनिवर्सिटी विश्वकर्मा से संबद्धता की पोल खुलने के बाद सारे दस्तावेजों को जांच के लिए यूजीसी को भेजा गया। अब संस्था संचालक जगह-जगह सेंटिंग करने में जुटे हैं। वहीं जिला प्रशासन ने मामले की जांच शुरू कर दी है। डीएमओ जगमोहन सिंह ने बताया कि संस्था संचालक आए थे पर शपथ पत्र नहीं दिया। वह सादे कागज पर अपनी बात लिखकर लाए।
फर्जी पैरामेडिकल कॉलेज में लटका छात्रों का भविष्य
फर्जी पैरामेडिकल कॉलेज में छात्राओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ होने से ४०० छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे विगत दो साल से पैरामेडिकल कालेज में फर्जीवाड़े का खेल चलता रहा। विभाग की आड़ में संचालक डिग्री के नाम पर फर्जी अंक पत्र देकर रुपए हड़पता रहा और जिम्मेदार अनजान बने रहे। अब तक मिली जानकारी के अनुसार करीब ४०० से अधिक छात्राओं के भविष्य के साथ संचालक ने खिलवाड़ किया है। बता दें कि शहर के मड़वानगर में मां वैष्णो पैरामेडिकल कालेज बिना मान्यता के फर्जी तरीके से वर्ष २०१७ से संचालित किया जाता रहा। जीएनएम और एएनएम प्रशिक्षण कोर्स के नाम पर प्रवेश लेकर फर्जी अंक पत्र बांटा जाता रहा।