सामना संवाददाता / मुंबई
ईडी सरकार ने महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना की घोषणा तो कर दी थी लेकिन घोषणा के एक महीना बीत जाने के बावजूद इस योजना के लाभार्थी को इसका लाभ नहीं मिल रहा था। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इस बाबत जब सरकार को पत्र लिखकर लोगों को हो रही असुविधा से अवगत कराया तब, जाकर सरकार की नींद खुली और आनन-फानन में नया अध्यादेश जारी किया गया।
ज्ञात हो कि महात्मा ज्योतिराव फुले जन आरोग्य योजना के तहत ५ लाख तक के स्वास्थ्य कवरेज की घोषणा २८ जून २०२३ को की गई थी, लेकिन नागरिकों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा था, क्योंकि सरकार का निर्णय अभी तक जारी नहीं किया गया था। जैसे ही आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने इसे सरकार के ध्यान में लाया, जिसके बाद सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मिलिंद म्हैसकर ने तत्काल कार्रवाई की और एक नया अध्यादेश जारी किया।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में उल्लेख किया है कि इसके कारण मरीज इलाज से वंचित रह जाते हैं और इस घोषणा से नागरिकों और सरकारी अधिकारियों के बीच मनमुटाव पैदा हो रहा है। सरकारी पैâसले जारी न होते हुए भी आए दिन सरकारी विज्ञापन आ रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि दिवंगत बालासाहेब ठाकरे सड़क दुर्घटना बीमा योजना को महात्मा फुले जन आरोग्य योजना में शामिल किया गया था। इसकी भी केवल घोषणा की गई है लेकिन वास्तव में कोई आधिकारिक निर्णय जारी नहीं किया गया है। अनिल गलगली ने तत्काल कार्रवाई के साथ अध्यादेश जारी करने के लिए मिलिंद म्हैसकर को धन्यवाद दिया है।