सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में महायुति सरकार ने कल १.१० लाख करोड़ रुपए के घाटे का बजट पेश किया। इस बजट में घोषणाओं की भरमार दिखी, जिसमें महिलाओं को लुभाने की कोशिश की गई है। दूसरी तरफ इस सरकार का स्वास्थ्य और शिक्षा पर खासा फोकस नहीं दिखा। कुल मिलाकर यह बजट केवल लोक-लुभावन ही साबित हुआ है। इन सबके बीच अब सवाल यह उठने लगा है कि आखिरकार बजट में घोषणाओं की बौछार करनेवाली यह सरकार अपनी खाली पड़ी तिजोरी से इन्हें कैसे पूरा करेगी।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में महायुति के उम्मीदवारों को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा है। इस हार से सबक लेते हुए अब प्रदेश की महायुति सरकार राज्य की जनता को बरगलाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपना रही है। इसी में कल राज्य के उपमुख्यमंत्री व वित्तमंत्री अजीत पवार ने प्रदेश का घाटेवाला बजट पेश किया। घाटे में होने के बावजूद इस सरकार ने जनता खासकर महिला वर्ग को आकर्षित करने के लिए कई योजनाओं की घोषणाएं की है। इसमें मुख्यमंत्री मेरी लाडली बेटी व बहन योजना, पिंक ई-रिक्शा, वैंâसर जांच के लिए साधन-संसाधन, महिलाओं के लिए एंबुलेंस, जल जीवन मिशन, मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना, आंगनबाड़ी कर्मचारियों को लाभ, लखपति दीदी, महिला स्टार्टअप, लड़कियों को मुफ्त शिक्षा जैसी योजनाओं को शामिल किया गया है। इसके साथ ही सरकारी दस्तावेजों पर मां का नाम अनिवार्य, शुभ मंगल सामूहिक पंजीयन विवाह, विशेष फास्टट्रैक न्यायालय, प्राकृतिक आपदा में किसानों को मदद, नमो किसान महा सम्मान निधि, एक रुपए में फसल बीमा, गोपीनाथ मुंडे सुरक्षा सानुग्रह अनुदान योजना, महात्मा जोतिराव फुले किसान कर्ज मुक्ति योजना, प्याज उत्पादक किसानों को मदद समेत किसानों के लिए १०० से अधिक योजनाओं की घोषणाएं हुई है।
महिलाओं के स्वास्थ्य पर ध्यान
लोकसभा चुनाव से बौखलाई शिंदे सरकार ने महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू करने के साथ ही उनके स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान रखा है। इसके तहत महिलाओं में स्तन और गर्भाशय वैंâसर की जांच के लिए प्रदेश के सभी स्वास्थ्य उपकेंद्रों में उपकरण व सामग्री खरीदने के लिए ७८ करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए ३,३२४ एंबुलेंस सेवारत हैं, जिसमें से पुरानी हो चुकी एंबुलेंस को हटाकर उनकी जगह नई खरीदी जाएंगी। दूसरी तरफ पर्यटन क्षेत्र में महिला लघु उद्यमियों द्वारा लिए गए १५ लाख रुपए तक के ऋण पर ब्याज चुकाने के लिए सरकार ‘आई योजना’ शुरू कर रही है। इससे १० हजार नौकरियां पैदा होंगी।
लड़कियों को मुफ्त उच्च शिक्षा योजना केवल छलावा
बजट में ‘घाती’ सरकार राज्य में व्यावसायिक शिक्षा में लड़कियों का अनुपात बढ़ाने का दावा की है। इसमें कहा गया है कि पिछड़ा वर्ग और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की लड़कियों के ट्यूशन फीस के साथ ही परीक्षा शुल्क की १०० फीसदी प्रतिपूर्ति किया जाएगा। यह भी बताया गया है कि इससे करीब २ लाख ५ हजार लड़कियों को फायदा होगा। यह योजना शैक्षणिक वर्ष २०२४-२५ से शुरू की जाएगी और राज्य सरकार पर हर साल लगभग २ हजार करोड़ रुपए का बोझ पड़ेगा, लेकिन आम लोगों का कहना है कि योजना केवल छलावा है। इसे यह सरकार चुनाव में भुनाने की कोशिश करेगी। हालांकि, जनता इतना मूर्ख नहीं है, जो इनके झांसे में आ जाएगी।
पहले से ही अनदेखी के शिकार हैं मेडिकल कॉलेज, फिर भी बढ़ाने की है योजना
राज्य में इस समय एक लाख लोगों के पीछे ८४ डॉक्टर हैं, जिसे २०३५ तक १०० तक करने का दावा ‘घाती’ सरकार ने किया है। इसके लिए पहले से मौजूद मेडिकल कॉलेजों में सीटें बढ़ाने और नए मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी है। इसके तहत जालना, हिंगोली, धाराशिव, परभणी, नासिक, जलगांव, अमरावती, बुलढाणा, वाशिम, वर्धा, भंडारा, गढ़चिरौली, सातारा, अलीबाग, सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, पालघर और अंबरनाथ में ४३० बेड के साथ नए मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी है। इन कॉलेजों में मेडिकल सीटों की संख्या १०० तक करने की योजना है। इसके साथ ही रायगड में १०० छात्रों के प्रवेश क्षमता वाली नई सरकारी यूनानी महाविद्यालय और बुलढाना में आयुर्वेद महाविद्यालय बनाने की मंजूरी दी गई है। इसे लेकर विपक्ष का कहना है कि राज्य में पहले से मौजूद सरकारी मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों की अनदेखी हो रही है। उन्हें सुधारने की बजाय यह सरकार घाटे को और बढ़ाने में जुटी हुई है।
तृतीयपंथी नीति-२०२४ की हुई घोषणा
राज्य ने इस वर्ष तृतीयपंथियों को लेकर अपनी नीति की घोषणा की है। सरकार और सार्वजनिक प्राधिकरणों की तरफ से होनेवाली भर्ती प्रक्रिया के साथ ही सभी सरकारी योजनाओं में पुरुष-महिला के साथ-साथ ‘तृतीयपंथी’ लिंग का विकल्प भी उपलब्ध कराया गया है। इस कारण राज्य सरकार का तृतीयपंथी समुदाय योजनाओं का आसानी से लाभ ले सकेगा।