मंगलेश्वर त्रिपाठी / जौनपुर
जौनपुर जिले की खस्ताहाल स्वास्थ्य व्यवस्था जगजाहिर है। कुछ माह पहले स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक से जिला अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक की शिकायत हुई थी। उन्होंने मामले को गंभीरता से लिया और जांच करवाया, जिसमें अधिकांश लोग दोषी पाए गए। दोषियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। जौनपुर की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए स्वास्थ्य मंत्री की दखल और कार्रवाई के बावजूद जिले में कार्यरत चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। जिले के प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की हालत दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। चिकित्सा व्यवस्था दम तोड़ती नजर आ रही है, जिसका जीता-जागता उदाहरण जौनपुर के अमर शहीद उमानाथ सिंह जिला अस्पताल है, जहां डॉक्टरों की भारी कमी है। हैरत की बात तो यह है कि जिला अस्पताल होने के बावजूद यहां डॉक्टरों की नियुक्ति नहीं की जा रही है। संविदाकर्मियों के भरोसे किसी तरह मरीजों का इलाज हो रहा है। अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां मरीजों को कितनी मुश्किलें झेलनी पड़ रही होंगी। यहां की हालत यह है कि स्वास्थ्य की जिम्मेदारी संभालने वाला विभाग खुद अस्वस्थ्य सा लगने लगा है। जिला आधिकारी द्वारा भी कई बार जिला अस्पताल का निरीक्षण किया गया, परंतु परिणाम वही ढाक के तीन पात ही रहा।
जनपद में अवैध नर्सिंग होम, अल्ट्रासाउंड सेंटर तथा पैथोलॉजी की भरमार है। आए दिन लोगों की जानें जा रही हैं। जब कोई घटना घटती है, तभी प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जाती है। दूसरी तरफ जिम्मेदार अधिकारी तब तक बदहाल व्यवस्था को संज्ञान में नहीं लेते, जब तक कोई बड़ी घटना नहीं हो जाती। इसका दो कारण हो सकता है। कहीं लाभ तो कहीं प्रभाव के चलते यह हालत बनी हुई है। अभी हाल ही में खुटहन, जलालपुर और जौनपुर शहर का मामला सामने आया, जहां लापरवाही से मौतें हुई हैं। पिछले वर्ष बदलापुर के विधायक रमेश मिश्र ने खुद अवैध अस्पताल के विरुद्ध मोर्चा संभाला। छोटी-मोटी कार्रवाई भी हुई, परंतु परिणाम खोखला साबित हुआ।
जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था संभालने और उसे सुदृढ़ बनाने की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. लक्ष्मी सिंह के हाथों है, परंतु उन्हें कुछ पड़ी ही नहीं है। वह सरकारी नंबर उठाती नहीं हैं। सीएमओ कार्यालय में बैठती नहीं हैं। जब देखिए बैठक का बहाना बना कर सिर्फ जिला अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत रह कर फोटो खिंचवाने में मशगूल रहती हैं। डॉ. लक्ष्मी सिंह अपने कार्यकाल की शुरुआत में कई प्राथमिक और सामुदायिक केंद्रों का निरीक्षण भी किया था, जिसमें खामियां भी मिली थीं। कई केंद्रोें पर ताला बंद मिला था, परंतु कार्रवाई करने की बजाय कर्मियों को सिर्फ चेतावनी दे कर शांत हो गईं।
इसी सप्ताह हुए जिले की समीक्षा बैठक में जिला आधिकारी अनुज कुमार झा ने प्रधानमंत्री जन अरोग्य योजना में लापरवाही बरतने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की और संबंधित को नोटिस जारी करने के निर्देश सीएमओ डॉ. लक्ष्मी सिंह को दिए। स्वास्थ्य विभाग में चल रहे वेलनेस सेंटर के निर्माण कार्यों की समीक्षा करते हुए निर्देश दिया कि नियमित रूप से मॉनिटरिंग करते हुए इसे समय से पूर्ण कराएं। उन्होंने सिकरारा में बन रहे १०० बेड के हॉस्पिटल का कार्य निर्धारित अवधि में पूर्ण कराने के निर्देश कार्यदायी संस्था आर एन एन को दिए। ई-संजीवनी ऐप पर कितने आईडी सक्रिय हुए हैं, इसकी जानकारी प्राप्त करते हुए सीएमओ को निर्देशित किया कि अस्पतालों में सभी प्रकार की दवाएं उपलब्ध रहें तथा बाहर की दवा न लिखी जाए। जिलाधिकारी द्वारा बाहर की दवा नहीं लिखने के लिए अनगिनत बार निर्देशित किया गया, परंतु कोई भी ऐसा डॉक्टर नहीं है, जो बाहरी दवा नहीं लिखता हो। बीमार व्यक्ति बाहर की दवा तो एक बार बर्दास्त कर भी ले, लेकिन कमीशनखोरी के चक्कर में ऐसी दवाइयां लिखी जाती हैं, जिनका दाम पेटेंट या जेनेरिक दवाईयों से दो-तीन गुना अधिक होती हैं और बीमारी में फायदा भी नहीं करतीं।