सामना संवाददाता / नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव के दौरान कई राज्यों में बेरोजगारी, सरकारी पदों पर भर्ती न होना और प्रतियोगी व भर्ती परीक्षाओं के पेपर लीक का मुद्दा काफी अहम हो गया है। इस मुद्दे पर युवाओं में केंद्र व प्रदेश सरकार के खिलाफ असंतोष देखा जा रहा है और वे अपने गुस्से को व्यक्त भी कर रहे हैं। चुनावी सभाओं में भाजपा नेताओं को इस मुद्दे पर युवा वर्ग घेर रहा है। खास तौर से उत्तर प्रदेश में हुई पेपर लीक घटनाओं से युवा वर्ग काफी आक्रोशित है। भाजपा नेता युवाओं के सवालों पर चुप्पी साध रहे हैं। उत्तर प्रदेश में सरकारी भर्तियों में हो रही विकराल अनियमितता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले फरवरी महीने में एक सप्ताह के भीतर उत्तर प्रदेश में दो बड़ी परीक्षाओं, उत्तर प्रदेश कांस्टेबल भर्ती परीक्षा और समीक्षा अधिकारी / सहायक समीक्षा अधिकारी परीक्षा (आरओ/एआरओ) का पेपर लीक हो गया था। सिपाही भर्ती परीक्षा में ६० हजार पदों के लिए करीब ४९ लाख युवाओं ने परीक्षा दी थी। दोनों परीक्षाओं के पेपर लीक से युवा आक्रोशित हुए और उन्होंने लखनऊ, इलाहाबाद सहित कई जगहों पर जोरदार प्रदर्शन किया। आखिरकार योगी सरकार को परीक्षा स्थगित करनी पड़ी। छह महीने बाद दोनों परीक्षाएं फिर से कराने का आश्वासन दिया गया है।
पेपर लीक का स्याह इतिहास
उत्तर प्रदेश में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से कोई साल ऐसा नहीं गुजरा, जिसमें प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक न हुए हों।
शुरुआत २०१७ में यूपी आरक्षी परीक्षा का पेपर लीक होने से हुई। इस परीक्षा में १.२० लाख आवेदक शामिल हुए थे। पेपर लीक के बाद परीक्षा को निरस्त कर दिया गया।
जुलाई २०१८ में अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड की १४ विभागों में लोअर सबऑर्डिनेट परीक्षा का पेपर लीक हो गया और सरकार को यह परीक्षा निरस्त करनी पड़ी। इसमें ६७ हजार से अधिक अभ्यर्थी शामिल हुए थे।
सितंबर २०१८ में यूपीएसएसएससी के तहत नलकूप ऑपरेटरों की भर्ती के लिए आयोजित परीक्षा का पेपर आउट हो गया। यह परीक्षा भी रद्द करनी पड़ी।
अगस्त २०२१ में यूपीएसएसएससी द्वारा आयोजित प्रीलिमिनरी एलिजिबिलिटी टेस्ट (पीईटी) का पेपर आउट हो गया। इस परीक्षा के लिए सरकार ने सख्त इंताजम किए थे। इसके बावजूद पेपर आउट हो गया।
इसी साल के आखिर में २८ नवंबर २०२१ को उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का पेपर वॉट्सऐप पर लीक हो गया और परीक्षा रद्द करनी पड़ी।