सामना संवाददाता / मुंबई
देश के पूर्वी हिस्से में तीन मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों के खिलाफ हिंसक घटनाओं के कारण डॉक्टरों की सुरक्षा का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में आ गया है। इन हमलों के मद्देनजर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से जुड़े जूनियर डॉक्टरों ने मांग की है कि केंद्र सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए एक टास्क फोर्स बनाए, ताकि हमला करने या धमकी देनेवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।
उल्लेखनीय है कि त्रिपुरा में मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टर पर जानलेवा हमला, ओडिशा में एक डॉक्टर का अपहरण और बिहार में एक रेजिडेंट डॉक्टर के साथ ही एसोसिएट प्रोफेसर पर हिंसक हमले के कारण सभी राज्य समेत देशभर के मेडिकल कॉलेजों में रेजिडेंट डॉक्टरों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है। इसके साथ ही इन मामलों से डॉक्टर भी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। आईएमए जेडीएन के राष्ट्रीय समन्वयक डॉ. इंद्रनील देशमुख ने कहा कि पहले अस्पतालों में डॉक्टरों के साथ झड़प होती थी, लेकिन अब डॉक्टरों पर सीधे हमले हो रहे हैं। हिंसा की इन घटनाओं से रेजिडेंट डॉक्टरों में डर का माहौल है। इस डर को दूर करने के लिए केंद्र सरकार को सख्त कदम उठाना जरूरी है।
हर वॉर्ड में लगे कैमरे
डॉ. इंद्रनील ने कहा कि राज्य समेत हिंदुस्थान के सभी मेडिकल कॉलेजों में सख्त कानून के अलावा स्थानीय पुलिस की नियमित गश्त होनी चाहिए। इसके साथ ही हर वॉर्ड में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। इन कैमरों को स्थानीय पुलिस स्टेशन या अस्पताल के सुरक्षा विभाग से जोड़ा जाना चाहिए। इसके अलावा अस्पताल में मरीजों के परिवारों के लिए पास प्रणाली को सख्ती से लागू किया जाना चाहिए।
पुलिस की होनी चाहिए गश्ती
डॉ. इंद्रनील ने कहा कि हम सरकार से मांग करते हैं कि केंद्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा कानून को प्राथमिकता के तौर पर पूरे राज्य में सख्ती से लागू किया जाए। डॉक्टरों पर हमला करनेवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। साथ ही ऐसे मामलों की शीघ्रता से जांच के लिए एक टास्क फोर्स या समिति गठित करने का प्रावधान किया जाना चाहिए। पुलिस की गश्ती नियमित होनी चाहिए।