डॉ. अरविंद इस बात को लेकर उत्साहित थे क्योंकि उनके कुछ मित्र काशी आनेवाले थे। जब भी उनकी अपने मित्रों से बात होती तो वे अपने मित्रों के सामने बदलते बनारस की तारीफों के पुल बांध देते। बातों के जादू, खबरें और मीडिया में चमकते और बदलते बनारस की तस्वीर ने अरविंद के दक्षिण भारतीय मित्रों को वाराणसी आने का सुअवसर एक मेडिकल कॉन्प्रâेंस के शामिल होने के रूप में दिया। एयरपोर्ट पर मित्रों को रिसीव कर गाड़ी जब बाबतपुर से वाराणसी की तरफ बढ़ी तो मित्रमंडली के मुंह से अंग्रेजी में ‘वॉव’ अर्थात गजब अनायास ही निकल पड़ा। सिक्स लेन की आधुनिक सड़कें, द्रुत गति मार्ग और ओवर ब्रिज देखकर मित्रों की खुशी ने अरविंद का सीना चौड़ा कर दिया। मात्र २५ मिनट के अंतराल में जैसे ही शिवपुर होते हुए गाड़ी ने शहर में प्रवेश किया, सभी के चेहरे पर तनाव की रेखा उभर आई और इसका कारण था बनारस का वीभत्स जाम। जिस एयरपोर्ट से शहर आने में मात्र २५ मिनट समय लगा, वहीं शहर से होटल पहुंचने में ५० मिनट जाम के कारण लग गए। अरविंद ने भरे दिल से अपने मित्रों को समझाने का प्रयास किया कि विकास के साथ बनारस को बाई प्रोडक्ट के रूप में जाम रूपी भीषण समस्या भी मिली है, जिसका किसी स्तर पर सरकार व प्रशासन द्वारा अभी तक निराकरण नहीं किया जा सका है। जाम रूपी विभीषिका का वर्णन करते हुए डॉ. अरविंद ने बताया कि काशी विश्वनाथ कारिडोर के बनने के बाद दर्शनार्थियों से ज्यादा देशी सैलानियों का आवागमन तेजी से बढ़ा है। नित्य एक से दो लाख लोगों से भरी बड़ी-बड़ी स्कूली बसें दिन में बनारस की घनी आबादी वाले इलाकों से गुजरती हैं तो सारा ट्रैफिक इंतजाम धरा रह जाता है। मुख्य मार्गों पर ई-रिक्शा और अवैध ऑटो का संचालन, सड़कों के किनारे बेतरतीब वाहन जाम की मुख्य वजह हैं। बंद पड़ी ट्रैफिक लाइटें, फड़, ठेला-ठेली का दायरा तय न होना, बस-ऑटो के कहीं भी रोके जाने पर एक्शन न होने से भी बनारस की सड़कें जाम हो जाया करती हैं। बनारस में मैरिज लॉन भी मुसीबत का कारण बन गए हैं। वैवाहिक तिथियों पर बारातें शहर की रफ्तार रोक देती हैं। यहां ज्यादातर लॉन संचालकों के पास पार्विंâग की सुविधा नहीं है। गाड़ियां सड़कों के किनारे खड़ी होती हैं। गत वर्ष जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल भी बनारस के जाम में घंटों फंसे रहे। आए दिन वीआईपी लोगों का जमावड़ा बनारस में लगा करता है और कोई-न-कोई जाम में फंसा भी रहता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जाम और दुर्घटना के लिए चौकाघाट, डाफी, लंका, सुंदरपुर, सामनेघाट, पांडेयपुर, कमच्छा, गोदौलिया, वैंâट, विद्यापीठ, शिवपुर, नरिया, गिलट बाजार, ऑर्डली बाजार, लहरतारा, मैदागिन, सिटी स्टेशन, पीलीकोठी, मंडुआडीह सर्वाधिक संवेदनशील इलाके हैं, पर दुर्भाग्य है कि पहले से ही चिह्नित दुर्घटनाग्रस्त स्थानों पर यदा-कदा कोई गार्ड दिख जाता है। दिन भर हूटर बजाते वाहनों में प्रतिस्पर्धा होती दिख जाएगी। कहीं कोई अधिकारी तो कहीं कोई राजनेता। अतिक्रमण हटाने की कवायद के साथ वरुणापार इलाके में पांडेयपुर, लालपुर, पहड़िया, आशापुर, पंचकोसी रोड, हुकुलगंज, अर्दलीबाजार व अन्य क्षेत्रों में सड़कें अवैध अतिक्रमण के कारण और छोटी होती जा रही हैं। एकाध बार अतिक्रमण को लेकर प्रशासन कार्यवाही कर औपचारिकता तो पूरा कर लेता है, पर कुछ कुछ दिनों बाद फिर से सड़कों के किनारे दुकानें लगा ली जाती हैं। छुट्टे पशुओं में कमी तो आई है, पर सिगरा, लंका, गोदौलिया, लहुराबीर, मैदागिन, वैंâट आदि इलाकों में सांड सहित अन्य छुट्टा पशुओं के दर्शन हो ही जाते हैं। मित्रों के साथ अपने विचारों को अंतिम पड़ाव देते हुए अरविंद कहते हैं कि, ‘सावन आनेवाला है, पूरा शहर एक महीने दर्शनर्थियों से पटा रहेगा। पीएम मोदी दुनिया भर से नेताओं को बनारस का मॉडल दिखाने के लिए बुलाते तो हैं और प्रशंसा भी पाते हैं, पर इस आवभगत में कोई पिस रहा होता है तो वह होती है शहर की निर्दोष जनता। अनियमित व अनियंत्रित ट्रैफिक के बावजूद लाखों पर्यटकों के आतिथ्य का नित्य निर्वहन करनेवाली काशी जाम की वीभत्स विभीषिका के लिए अपने सांसद की तरफ आशा भरी निगाह से आज भी देख रही है।
हिमांशु राज