सुरेश एस डुग्गर
जम्मू से कश्मीर तक २७२ किमी रेल लाइन पर १०५ किमी सुरंगोंवाले रूट पर सफर का सपना अब पूरा होनेवाला है, क्योंकि उत्तरी रेलवे कटड़ा-बनिहाल सेक्शन में देश की सबसे लंबी रेल टनल के दोनों सिरे मिलाने में सफलता हासिल कर चुका है, तो अब विश्व के सबसे ऊंचे कौड़ी रेल पुल पर भी ट्रॉली का टेस्ट पूरा हो चुका है। चिनाब दरिया पर बना यह पुल एफिल टॉवर से भी ऊंचा है।
गौरतलब है कि इतना जरूर है कि स्व. अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा शुरू की गई महत्वाकांक्षी १११ किमी लंबी कटड़ा-काजीगुंड रेलवे लाइन में सिर्फ २४ किमी ही यात्री खुले आकाश के दर्शन कर सकेंगे। इस रेलवे लाइन में लगभग १०५ किमी तक का सफर उन्हें सिर्फ सुरंगों में ही करना होगा। सिर्फ यही नहीं इस पूरी परियोजना के संपन्न होने पर ६० गांवों तक सड़क और रेल संपर्क भी बहाल होगा। उधमपुर-कटड़ा के बीच २५ किमी लंबी रेल लाइन पर २५ बड़े पुल, २९ छोटे पुल बनाए जा चुके हैं। इसी सेक्शन में ८५ मीटर ऊंचा और १५४ किलोमीटर लंबा स्टील के गार्डर वाला देश का पहला पुल भी है। उधमपुर-कटड़ा सेक्शन में बनाई जानेवाली सात सुरंगों की लंबाई १०.९० किलोमीटर है, जबकि अभी तक की सबसे लंबी सुरंग ३.१८ किमी थी, जिसका अब रिकॉर्ड टूट गया है।
१२.७५८ किमी लंबी टी-४९ टनल में लाइन एंड लेवल ब्रेकथ्रू के साथ ही कश्मीर को रेल के जरिए सीधे देश से जोड़ने का काम अंतिम चरण में है। रेलवे का कहना है कि इस साल के अंत तक जम्मू से श्रीनगर तक वंदे भारत का सफर किया जा सकेगा। राष्ट्रीय महत्व की २७२ किलोमीटर लंबे उधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) परियोजना के अधिकारी ने बताया कि टी-४९ टनल भारतीय रेलवे की सबसे लंबी सुरंग है।
अभी तक बनिहाल-काजीगुंड सेक्शन में बनाई गई पीर पंजाल टनल (११.२ किमी) सबसे लंबी मानी जाती रही है। टी-४९ टनल का दक्षिणी मुहाना रामबन जिला मुख्यालय से ४५ किमी दूर सुंबर गांव में है, जिसकी समुद्रतल से ऊंचाई १२०० मीटर है, वहीं टनल का उत्तरी मुहाना १६०० मीटर की ऊंचाई पर खड़ी तहसील के अरपिंचला गांव में है। भारतीय रेलवे की सबसे लंबी टनल में दो ट्यूब हैं, जिसमें एक मुख्य और एक एस्केप टनल है। टनल का निर्माण आस्ट्रियल टनलिंग मैथड किया गया है। सबसे लंबी टनल घोड़े की नाल जैसी घुमावदार बनाई गई है। बेहद चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों में टनल के भीतर तक पहुंच बनाने के लिए तीन अस्थायी रास्तों का निर्माण किया गया। यहीं से मशीनरी और अमले की आवाजाही की जा रही थी। उधमपुर से बारामुला तक प्रस्तावित २७२ किमी रेल परियोजना में से १६१ किमी हिस्से में चरणबद्ध तरीके से रेल परिचालन पहले ही शुरू हो चुका है। पहले चरण में ११८ किमी लंबे काजीगुंड-बारामुला के बीच अक्टूबर २००९ में ट्रेनें चलने लगी थीं। इसके बाद जून २०१३ में १८ किमी के बनिहाल-काजीगुंड सेक्शन में रेल परिचालन शुरू हुआ।