- ३३ सालों में ५५,७०० लोगों ने गंवाई जान
- ‘आजादी’ के बदले मिल रही मौत
सुरेश एस डुग्गर
कश्मीर में फैले आतंकवाद का एक रोचक तथ्य यह है कि कश्मीर में तथाकथित जेहाद और आजादी की लड़ाई को आरंभ करनेवाले थे कश्मीरी नागरिक और बाद में जो मुठभेड़ो में मरने लगे वे हैं पाकिस्तानी और अफगानी नागरिक। पाकिस्तानी तथा अफगानी नागरिक इसलिए मरने लगे हैं, क्योंकि वे कश्मीर के आतंकवाद को आगे बढ़ाने का ठेका लेकर आए हुए हैं। फिलहाल, मारे गए २४,५०० हजार आतंकियों में १३,५०० विदेशी आतंकियों का आंकड़ा भी शामिल है।
ऐसा भी नहीं है कि बिना कोई कीमत चुकाए सुरक्षाबलों ने इन आतंकियों को ढेर कर दिया हो बल्कि आतंकियों को मुठभेड़ों में मार गिराने की कीमत भी सुरक्षाबलों को चुकानी पड़ी है। कभी यह कीमत आत्मघाती हमलों के रूप में तो कभी सीमाओं पर आतंकियों के साथ जूझते हुए। आंकड़े बताते हैं कि ३३ साल का अरसा ७,६०० सुरक्षाकर्मियों को लील गया। अर्थात अगर ४ आतंकी मारे गए तो उनके बदले में एक सुरक्षाकर्मी की जान कश्मीर में अवश्य गई है।
गौरतलब है कि यहीं पर मौत का चक्र नहीं रुका। मौत का आंकड़ा दिनोंदिन अपनी रफ्तार को तेज करता गया था। परिणामस्वरूप आतंकियों के साथ-साथ आम नागरिक भी आतंकियों की गोलियों का शिकार हुए। जिन कश्मीरी नागरिकों को कभी `आजादी’ दिलाने तथा `भारतीय उपनिवेशवाद से मुक्ति’ दिलवाने की बात आतंकवादियों ने की थी उन्हें नहीं मालूम था कि एक दिन वे उन्हें जिंदगी से ही मुक्ति दिलवा देंगें। हुआ वही जो आतंकवाद में होता आया है। मारे गए लोगों में जहां प्रथम स्थान पर आतंकियों का आंकड़ा था तो वहीं दूसरे स्थान पर आम नागरिकों का। दोनों में थोड़ा-सा ही अंतर था। कुल १६,५७० नागरिक इन ३३ सालों में मौत का ग्रास बन गए।
बता दें कि ऐसा भी नहीं है कि इस अरसे के भीतर ‘जेहाद’ छेड़नेवाले मुस्लिम आतंकियों ने सिर्फ हिंदुओं या फिर सिखों को मौत के घाट उतारा हो, बल्कि चौंकानेवाली बात यह है कि मारे गए १६,५७० नागरिकों में १३ हजार से अधिक की संख्या उन मुस्लमानों की है जिन्हें ‘आजादी’ दिलवाने की बात आज भी आतंकी करते हैं। शायद उनकी आजादी के मायने यही रहे होंगे।
यह सच है कि कश्मीर में फैले आतंकवाद की कीमत है ५५,७०० लाशें। यह आधिकारिक कीमत है। आतंकवाद मरनेवालों में मतभेद नहीं करता। नतीजतन डेढ़ लाख हमलों को सहन करनेवाली कश्मीर घाटी इन ३३ सालों में एक लाख से अधिक लोगों का लहू बहता देख चुकी है। अगर आधिकारिक आंकड़ों को ही लें तो मरनेवाले ५५,७०० लोगों में से जितने आतंकी मारे गए हैं उनमें से कुछेक ही आम नागरिक भी थे तो मरनेवालों में सबसे अधिक वे ही मुसलमान मारे गए हैं, जिन्होंने जेहाद की खातिर कश्मीर में आतंकवाद को छेड़ रखा है।
आधिकारिक आंकड़ों के, इस महीने की ३ तारीख तक कश्मीर में ३३ सालों के अंतराल में आतंकवाद ५५,७०० लोगों को लील गया। इनमें २४,५०० आतंकी भी शामिल हैं, जिन्हें विभिन्न मुठभेड़ों में सुरक्षाबलों ने इसलिए मार गिराया क्योंकि उन्होंने उन्हें मजबूर किया कि वे उनकी जान लें।