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काशी में माता अन्नपूर्णा मंदिर का कुंभाभिषेक महानुष्ठान जलयात्रा के साथ शुरू…श्रृंगेरी शारदा पीठ के शंकराचार्य विद्युशेखर भारती की देखरेख में शुरू हुआ नौ दिवसीय अनुष्ठान

उमेश गुप्ता / वाराणसी

शंकराचार्य विधुशेखर भारती के सानिध्य में मां अन्नपूर्णा मंदिर के कुंभाभिषेक का महानुष्ठान शनिवार से शुरू हुआ। सुबह सात बजे जलयात्रा में 100 महिलाएं और 111 बटुक मंदिर से दशाश्वमेध घाट पहुंचे। गंगाजल लेकर वापस मंदिर पहुंचे।
इसके बाद सर्वप्रायश्चित, पंचगव्य प्राशन, गंगा पूजन, तीर्थानयन आदि अनुष्ठान शुरू हुए। शंकराचार्य विधुशेखर भारती अन्नपूर्णा मंदिर में माता के गर्भ में पहुंचकर पूजा पाठ की। माता को फूल माला अर्पित किया और पूरे मंदिर का भ्रमण करके परिसर के स्वरूप को दिखा मंदिर प्रांगण में बटुकों द्वारा हवन पूजन कर अनुष्ठान की शुरूआत की गई है।
इस अवसर पर मंदिर के महंत शंकर पुरी ने कहा कि दो फरवरी को सुबह सात बजे से कोटि कुमकुमार्चन व सहस्त्रचंडी महायज्ञ शुरू होगा। चार को सुबह सात बजे से अधिवास, हवन, महास्वपन, वखाधिवास, धान्याधिवास, फलाधिवास, अधिवासन, भगवती प्रतिष्ठा व कुंभाभिषेक समारोह होगा। उन्होंने कहा कि मां
अन्नपूर्णा मंदिर कुंभाभिषेक और विविध अनुष्ठान के लिए तैयार हो चुका है।जिसके तहत एक से नौ फरवरी तक विविध अनुष्ठान होंगे। साढ़े चार किलो सोने की आभा से मां अन्नपूर्णा का शिखर चमक उठा है। करीब 3.5 करोड़ रुपए की लागत से स्वर्णमंडित हुए शिखर की नक्काशी उभर आई है। कमल के फूल, नागवेल सहित अन्य मांगलिक प्रतीक स्पष्ट दिख रहे हैं। महंत शंकर पुरी ने बताया कि पूरा शिखर स्वर्णमयी हो गया है। मंदिर के मुख्य द्वार के बगल में महादेव और माता अन्नपूर्णा की थ्रीडी कलाकृति लगाई जा चुकी है। इसमें माता अन्नपूर्णा भगवान शिव को भिक्षा देती दिख रही हैं। कुंभाभिषेक के लिए सहस्त्र छिद्रयुक्त 1,000 घट बनवाए गए हैं। इनमें 11 स्वर्ण कलश, 101 रजत कलश, 101 ताम्र कलश, 500 अष्टधातु कलश, 225 पीतल कलश, 11 मृदा कलश बाकी अन्य धातुओं के कलश होंगे। पवित्र नदियों एवं सागरों के जल तथा पंचामृत आदि से शिखर का कुंभाभिषेक होगा।

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