सामना संवाददाता / भायंदर
मछली पकड़ने वाली नौकाओं को समुद्री चट्टानों से टकराकर हादसाग्रस्त होने से बचाने के लिए भायंदर-पश्चिम स्थित अरब सागर में दीपस्तंभ बनाए जाने की मांग स्थानीय मछुआरे वर्षों से कर रहे हैं। मछुआरों की मांग है कि मछली पकड़नेवाली नौकाओं को समुद्र की चट्टानों से दूर रखने के लिए राह बताने हेतु चट्टानों वाले क्षेत्र में कम से कम तीन दीपस्तंभ (लाइटहाउस) बनाए जाएं। मछुआरों की मांगों को लेकर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) सांसद राजन विचारे ने हाल ही में ‘मैरीटाइम बोर्ड’ के अधिकारियों के साथ बैठक कर दीपस्तंभ बनाए जाने में होने वाले विलंब और कारणों पर चर्चा की थी। चर्चा के दौरान बोर्ड के अधिकारियों ने शीघ्र ही समुद्र के बीच में दीपस्तंभ बनाने का कार्य शुरू करने का आश्वासन दिया है। विचारे के प्रयासों को यश मिलने से मछुआरों को बड़ी राहत मिली है।
ज्ञात हो कि भायंदर-पश्चिम स्थित अरब सागर के किनारे बसे उत्तन, डोंगरी, पाली, मनोरी आदि गांव के निवासी कोली (मछुआरा) समाज के लोगों का मुख्य व्यवसाय मछली पकड़ना और बिक्री करना ही है। मछली पकड़ने के लिए उन्हें अपनी नौका लेकर समुद्र तट से काफी दूर तक समुद्र के अंदर जाना पड़ता है, जहां से लौटते समय कई बार रात हो जाती है। रात के अंधेरे में समुद्र के बीच में पड़ने वाली चट्टानें दिखाई नहीं देती हैं। कई बार उक्त चट्टानों से टकराकर मछुआरों की नौकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। अब तक चट्टानों से नौकाएं टकराने के कारण करीब ७० से ८० मछुआरे गंभीर रूप से जख्मी भी हो चुके हैं। उत्तन मछुआरा संघ के अध्यक्ष लियो कोलासो ने बताया कि दीपस्तंभ (लाइटहाउस) बन जाने के बाद किनारे पर लौटने की राह दिखाई देने से इन हादसों पर अंकुश लगेगा।
उत्तन मच्छीमार संगठन के अध्यक्ष लियो कोलासो ने बताया कि वर्ष १९७० से समुद्र में ५ अलग-अलग स्थानों पर दीप स्तंभ बनाने की मांग की जा रही है, जिसके लिए हम सतत प्रयास कर रहे हैं। देर से ही सही अब इसके निर्माण की आस जगी है। इस बात की हमें खुशी है। दीपस्तंभ बन जाने से नौकाएं दुर्घटनाग्रस्त नहीं होंगी, जिससे मछुआरों को भी क्षति नहीं पहुंचेगी।