सामना संवाददाता / मुंबई
‘मैं ईडी की कार्रवाई से छुटकारा पाने के लिए अजीत पवार के नेतृत्व में भाजपा के साथ सरकार बनाने के लिए गया था। मेरे लिए ईडी से छुटकारा पाना पुनर्जन्म जैसा था।’ इस तरह की स्वीकारोक्ति अजीत पवार गुट के नेता छगन भुजबल ने दी है। जब इस बयान पर खलबली मची तो उन्होंने तुरंत डैमेज कंट्रोल के लिए विकास का कारण बता दिया। पहले छगन भुजबल ने कहा था कि मैं ओबीसी हूं, इसलिए केंद्रीय एजेंसियां मेरे पीछे पड़ गई थीं। अगर मैं ऊंची जाति का होता तो मेरे साथ ऐसा व्यवहार नहीं होता। ढाई साल की जेल काटने के बाद जब मैं जमानत पर बाहर आया तब मुझे ईडी का एक और नोटिस मिला। ७५ साल की उम्र में मेरे सामने यह सवाल था कि मुझे अब और कितनी बार पूछताछ का सामना करना पड़ेगा। छगन भुजबल ने बताया कि मुझे आज भी जेल के दिन याद हैं जो मेरी नींद उड़ा देते हैं। उपरोक्त सभी विवरण वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई की हालिया पुस्तक ‘२०२४: द इलेक्शन दैट सरप्राइज्ड इंडिया’ में उल्लेखित हैं।
अजीत पवार, उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार, प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, हसन मुश्रीफ, अनिल देशमुख, नवाब मलिक जैसे कई नेताओं को ईडी की जांच का सामना करना पड़ा था। मुझे, देशमुख और मलिक को तो ईडी ने गिरफ्तार ही कर लिया था। ऐसे समय में सभी को लगा कि प्रधानमंत्री मोदी या भाजपा से हाथ मिलाए बिना बचने का कोई रास्ता नहीं है। हमने यह मुद्दा पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के समक्ष भी उठाया। ये सभी बातें पवार साहब को समझ आ गर्इं, लेकिन वे भाजपा के साथ जाने के पक्ष में नहीं थे। फिर आखिरकार, अजीत पवार के नेतृत्व में पार्टी के विधायकों के साथ भाजपा से हाथ मिलाने का पैâसला हुआ। यह फैसला पार्टी के ज्यादातर नेताओं को मंजूर था। उन्होंने आगे बताया कि भाजपा के साथ जाते ही सभी को ईडी की जांच से मुक्त कर दिया गया।
‘सरदेसाई की किताब में दी गई जानकारी शत-प्रतिशत सच’
राकांपा (शरदचंद्र पवार) के नेता अनिल देशमुख ने कहा कि छगन भुजबल दबाव में थे। जेल से बाहर आने के बाद ईडी की नोटिस मिलने के बाद दोबारा जेल जाकर पूछताछ का सामना करने की मानसिकता व हिम्मत उनमें नहीं थीं। राजदीप सरदेसाई की किताब में दी गई जानकारी शत-प्रतिशत सच है, इसमें सच्चाई है। सभी जानते हैं कि ईडी और सीबीआई के दबाव में कितने लोगों को भाजपा सरकार में शामिल होना पड़ा।