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बंद स्थगित पर आंदोलन रहेगा जारी! …उद्धव ठाकरे आज ११ बजे शिवसेना भवन के सामने आंदोलन पर बैठेंगे

-आज संपूर्ण महाराष्ट्र में मूक प्रदर्शन
-मुंह पर काली पट्टी और हाथों में काले झंडे

-उद्धव ठाकरे की स्पष्ट भूमिका, फैसला मान्य नहीं, पर कोर्ट का सम्मान करते हैं’
सामना संवाददाता / मुंबई
बदलापुर में दो बच्चियों पर हुए जघन्य अत्याचार जैसी घटनाएं मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में घट रही हैं। इसके खिलाफ महाविकास आघाडी द्वारा आज किए गए महाराष्ट्र बंद आह्वान पर मुंबई हाई कोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया। इसके बावजूद आंदोलन नहीं रुकेगा। इस तरह का स्पष्ट रुख शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने कल रखा। उन्होंने कहा कि कोर्ट का पैâसला मंजूर नहीं है, लेकिन हम कोर्ट का सम्मान करते हैं। प्रदर्शन, आंदोलन, हड़ताल और बंद लोकतंत्र द्वारा दिया गया अधिकार है, उसे कोई भी छीन नहीं सकता है। यह संस्कृति बनाम विकृति की लड़ाई है। सुरक्षित बहनों की सुरक्षा के लिए हम यह लड़ाई लड़ते रहेंगे। उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि भले ही बंद स्थगित कर दिया गया, लेकिन आंदोलन नहीं रुकेगा। इस आंदोलन में खुद उद्धव ठाकरे ११ बजे से शिवसेना भवन के सामने चौक पर आंदोलन पर बैठेंगे। इसके अलावा मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र के गांव-गांव और चौक-चौराहों पर मुंह पर काली पट्टी, हाथ में काला झंडा लेकर जनता की ओर से जोश के साथ मूक आंदोलन किया जाएगा।

जल्द ही बंद पर फैसला
उद्धव ठाकरे ने कहा कि अन्याय-अत्याचार के खिलाफ प्रदर्शन, हड़ताल, बंद करने का अधिकार जनता को है और वो कोई भी छीन नहीं सकता है। इसलिए यदि सुप्रीम कोर्ट में जवाब मांगने के लिए समय नहीं मिला, फिर भी जल्द ही इसे लेकर मविआ विचार-विमर्श करके अत्याचार की घटनाओं का निषेध करने के लिए बंद का पैâसला लिया जाएगा।

यह संस्कृति बनाम विकृति की लड़ाई!
‘बहनों की सुरक्षा के लिए लड़ता ही रहूंगा’

मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में पिछले कई महीनों से महिलाओं पर अत्याचारों की घटनाओं में प्रचंड वृद्धि हुई है। इसकी वजह से कानून व्यवस्था की गंभीर समस्या पैदा हो गई है। जनता के मन में भारी असंतोष पैदा हो गया है। इस पृष्ठभूमि में महिलाओं पर अत्याचार की घटनाओं के खिलाफ महाविकास आघाडी की तरफ से महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया गया था। हालांकि, महाविकास आघाडी के बुलाए गए महाराष्ट्र बंद के खिलाफ मुंबई हाई कोर्ट में एड. गुणरत्ने सदावर्ते ने याचिका दायर करते हुए बंद का विरोध किया था। इस याचिका पर तत्काल सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बंद पर प्रतिबंध लगा दिया। इसके बाद भी बंद किया तो नियमानुसार कार्रवाई करने की चेतावनी दी। इसकी वजह से मविआ ने भी कोर्ट के पैâसले पर बंद को वापस लेते हुए आज सुबह ११ बजे से दोपहर एक बजे तक मुंह पर काला फीता बांधकर, काला झंडा लहराते हुए विरोध आंदोलन करेंगे, इस तरह की घोषणा उद्धव ठाकरे ने की।
इसी तत्परता से अपराधी को दो फांसी
कोर्ट ने बंद के खिलाफ दायर याचिका पर जिस तरह से सुनवाई करते हुए पैâसला सुनाया, उसी तरह से अपराधियों को सजा देने में भी तत्परता दिखाए। साथ ही अपराधी को फांसी दे। इस तरह की मांग भी उद्धव ठाकरे ने की। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जनता के मन में भरे गुस्से का गुबार फटा तो सभी के लिए परेशानी खड़ी होगी। उन्होंने कहा कि कोर्ट द्वारा शाम के समय आए पैâसले के बाद मविआ की एक साथ बैठक करके सुप्रीम कोर्ट में जवाब मांगने के लिए जरूरी समय भी नहीं मिला। उद्धव ठाकरे ने कहा कि हर घर में बहनों के लिए इस विकृति के खिलाफ आंदोलन किया जाना था। उस पर प्रतिबंध लगाए जाने का दुख हो रहा है।
प्रदर्शन करना जनता का अधिकार
उद्धव ठाकरे ने कहा कि प्रदर्शन करना जनता का अधिकार है। यह अधिकार कोई भी नहीं छीन सकता है। हमने भी आह्वान किए गए बंद में किसी भी हिंसा, तोड़-फोड़ का निर्देश नहीं दिया था। इसके बावजूद कोर्ट का अप्रत्याशित पैâसला आया है। हालांकि, मौजूदा समय में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचर की घटनाओं के कारण नागरिकों में भारी असंतोष है और यही असंतोष आज मुंबई-महाराष्ट्र में दिखेगा। आज राज्य के गांव-गांव और चौक-चौराहों पर जनता की तरफ से मुंह पर काला फीता बांधकर और हाथ में काला झंडा लेकर आंदोलन किया जाएगा।
सरकार नराधमों का कर रही समर्थन
राज्य में महिला अत्याचार की घटनाओं और घाती-भाजपा सरकार के नकारेपन की खबर हाई कोर्ट बीते कई दिनों से रोज ले रहा है। महिला अत्याचार को लेकर राज्य सरकार जवाबदारी झटक रही है। कल भी मुख्यमंत्री और सरकार को कोर्ट ने फटकारा है। उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह सरकार नराधमों का समर्थन कर रही है। अत्याचार के खिलाफ आवाज उठानेवाले आंदोनकारियों पर सरकार केस दर्ज करती है इसलिए सरकार को जगाने का काम हमारा है।
क्या कोर्ट और याचिकाकर्ता
लेंगे जवाबदारी?
मुंबई और महाराष्ट्र में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार की घटनाओं की वजह से हर घर में महिला, बच्चियों, बहनों में असुरक्षा की भावना पैदा हो गई है। इसी भावना के तहत जनता के माध्यम से आवाज उठाने वाले थे, क्योंकि माताओं और बहनों की रक्षा करना यह वक्त की जरूरत है। लेकिन याचिकाकर्ता के चलते कोर्ट ने प्रतिबंध लगा दिया। इस याचिकाकर्ता को जनता अच्छे तरीके से पहचानती है। इसलिए महिला अत्याचार की घटना घट रही है, उसकी जवाबदारी कोर्ट और याचिकाकर्ता सदावर्ते लेंगे क्या, इस तरह का जोरदार तंज उद्धव ठाकरे ने कसा। उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ हम जनता के कोर्ट में जा रहे हैं।

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