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मोदी सरकार की नई नीति से बोर्ड के बच्चों का बढ़ेगा टेंशन … साल में दो बार देनी पड़ेगी १० वीं – १२वीं की परीक्षा

– नया पैटर्न लागू करने पर सीबीएसई कर रहा है विचार
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
केंद्रीय बोर्ड के तहत पढ़नेवाले १०वीं और १२ वीं में पढ़नेवाले बच्चों का टेंशन बढ़नेवाला है। अब उन्हें साल में दो बार बोर्ड की परीक्षाएं देनी पड़ सकती हैं। असल में परीक्षा का नया पैटर्न लागू करने पर सीबीएसई विचार कर रहा है। इस बारे में सरकारी स्तर पर हलचल तेज हो गई है।
मिली जानकारी के अनुसार, सीबीएसई का कहना है कि वह छात्रों पर पढ़ाई का दबाव कम करने के लिए साल में दो बार बोर्ड परीक्षा कराने पर विचार कर रहा है। हालांकि, इस बारे में लोगों का कहना है कि दो बार परीक्षा की तैयारी करने से छात्रों का तनाव बढ़ेगा। सूत्रों का कहना है कि नया परीक्षा पैटर्न साल २०२६ से लागू किया जा सकता है। अभी तक सीबीएसई साल में एक बार फरवरी-मार्च में १२वीं की परीक्षा लेता है। अगर किसी विषय में अच्छे नंबर नहीं आते हैं तो छात्रों को सुधार के लिए सप्लिमेंट्री एग्जाम के रूप में साल में एक बार और मौका मिलता है। नए पैटर्न के तहत अब साल में दो बार परीक्षा होगी। इसके लिए शिक्षा मंत्रालय ने सीबीएसई से एक योजना बनाने को कहा है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने गत फरवरी में इस बात का संकेत दिया था कि साल २०२५-२६ से १०वीं और १२वीं की बोर्ड परीक्षा साल में दो बार हो सकती है। यह बदलाव नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के तहत किया जा रहा है। इस नीति का मकसद देश की शिक्षा व्यवस्था को २१वीं सदी की जरूरतों के हिसाब से बदलना है। सरकार का कहना है कि पहले की शिक्षा नीतियों में सिर्फ पढ़ाई का अधिकार और समानता पर ध्यान दिया गया था, लेकिन नई नीति में छात्रों की क्रिएटिविटी को बढ़ावा देने पर जोर होगा।

‘न्यू करिकुलम प्रâेमवर्क के तहत घोषणा
साल में दो बार परीक्षा कराने की घोषणा साल २०२३ में ‘न्यू करिकुलम प्रâेमवर्क (एनसीएफ)’ के तहत की गई थी। इसमें छात्रों को बेहतर अंक हासिल करने में मदद मिलेगी। इन बदलावों का मकसद हिंदुस्थान को २०४७ तक एक विकसित देश बनाना है। फरवरी में पेश किए गए अंतरिम बजट में शिक्षा के लिए ७३,४९८ करोड़ रुपए दिए गए हैं, जो अब तक की सबसे बड़ी राशि है।

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