कोरोना महामारी के खत्म होने के बाद दुनिया को सुपरबग का खतरा मंडरा रहा है। लैंसेट की स्टडी ने एक डराने वाला खुलासा किया है। आशंका जताई गई है कि २०५० तक सुपरबग्स से करीब ४ करोड़ मौतें हो सकती हैं। दरअसल, सुपरबग एक जर्म्स है, माइक्रोबियल स्ट्रेन हैं। इंसानों और जानवरों में एंटीबायोटिक दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल और दुरुपयोग की वजह से सुपरबग्स में बढ़ोतरी हुई है। सवाल ये है कि सुपरबग्स से लड़ने के लिए हम कितना तैयार हैं। दरअसल, शोधकर्ता एंटीबायोटिक स्ट्रेप्टोथ्रीसिन की फिर से जांच कर रहे हैं। स्ट्रेप्टोथ्रीसिन को ८० साल से भी ज्यादा पहले बनाया गया था। शोधकर्ता, इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या यह एंटीबायोटिक सुपरबग्स से लड़ने के लिए प्रभावी है। एंटीबायोटिक को अब नूर्सोथ्रिसिन नाम दिया गया है। हालांकि, शोधकर्ताओं ने स्ट्रेप्टोथ्रीसिन के इस्तेमाल पर अब तक रोक लगा रखी है। शोधकर्ताओं को डर है कि स्ट्रेप्टोथ्रीसिन के इस्तेमाल से किडनी संबंधी बीमारियां हो सकती हैं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के पैथोलॉजिस्ट जेम्स किर्बी और उनके सहयोगी ने स्ट्रेप्टोथ्रीसिन की फिर से जांच करने और उसके उपयोग करने की वकालत की है।