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कानडी जनता ने गाड़ा वैसे ही महाराष्ट्र में भाजपा को गाड़ो! मिंधे सरकार आने पर फूटे जाति द्वेष के अंकुर, भड़कने लगे दंगे

सामना संवाददाता / मुंबई
कर्नाटक में कानडी जनता ने जैसे भाजपा को गाड़ा उसी तरह महाराष्ट्र में भी भाजपा को गाड़ना है, ऐसा जबरदस्त निश्चय शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने कल व्यक्त किया। महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी के दौर में दंगे नहीं हुए लेकिन मिंधे सरकार आने पर जाति द्वेष के अंकुर फूटकर दंगे भड़कने लगे हैं, ऐसी तोप भी उद्धव ठाकरे ने दागी।
महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष पर सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठ द्वारा दिए गए पैâसले की पार्श्वभूमि में शिवसेना के पदाधिकारियों की महत्वपूर्ण बैठक कल ‘शिवसेना भवन’ में संपन्न हुई। इस बैठक का उद्धव ठाकरे ने मार्गदर्शन किया। बैठक में शिवसेना नेता, जिलाप्रमुख, जिलासंगठक, समन्वयक और शिवसेना के विधायक उपस्थित थे। इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने सत्ता संघर्ष पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए पैâसले का विश्लेषण किया। इसी के साथ-साथ राज्य के जातीय दंगे, त्र्यंबकेश्वर की घटना और भविष्य में होनेवाले स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव पर अपने विचार व्यक्त किए।
महाविकास आघाड़ी सरकार के काल में जातीय दंगे नहीं हुए थे। कोरोना काल में सभी त्योहार, प्रार्थनास्थल बंद थे। उस दौरान भी हम रैली निकालेंगे ही, ऐसा आततायीपना किसी ने नहीं किया था। मैंने जो कुछ कहा उसे सभी लोगों ने शांतिपूर्वक सुना। मैंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और १५-२० दिनों के बाद सीएए-एनआरसी का मुद्दा भड़क उठा। देश में कुछ जगहों पर दंगे हुए लेकिन महाराष्ट्र में दंगे नहीं हुए। हमने दंगे नहीं होने दिए। लेकिन अब सरकार बदलते ही दंगे होने लगे हैं। इन शब्दों में उद्धव ठाकरे ने निशाना साधा।
कर्नाटक शांत है। महाराष्ट्र में दंगे होने लगे। कर्नाटक में कांग्रेस के सत्ता में आते ही दंगे होंगे, ऐसे बयान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने दिए थे। अब कांग्रेस की जीत होने के बाद कर्नाटक शांत है, परंतु महाराष्ट्र में दंगे होने लगे हैं। हमारी सरकार के समय जो नहीं होता था, वो गद्दारों की सरकार आने के बाद होने लगे हैं। अभी अचानक हिंदू और मुसलमानों को ऐसा हुआ तो क्या हुआ? ऐसा सवाल करते हुए उद्धव ठाकरे ने तोप दागी। मिंधे सरकार आने पर महाराष्ट्र में जाति द्वेष के अंकुर फूटने लगे और दंगे होने लगे, ऐसा उल्लेख करते हुए अकोला और नगर स्थित शेवगाव में हुए दंगों की ओर उन्होंने ध्यान दिलाया।
जनता सवाल पूछने लगी तो दंगे कराए जा रहे हैं
त्र्यंबकेश्वर मंदिर की घटना का उल्लेख करते हुए उद्धव ठाकरे ने वास्तविकता की ओर ध्यान आकर्षित किया। नासिक के लोग यहां आए थे। त्र्यंबकेश्वर में मुस्लिम भाइयों ने रैली निकाली। हमारी भी श्रद्धा है और हम हर बार मंदिर के समक्ष जाकर धूप जलाते हैं। हम कोई मंदिर में नहीं जाते हैं, ऐसा उन्होंने कहा। लेकिन इस पर हंगामा मचाया गया। दंगे भड़काने के प्रयास किए गए, ऐसा आरोप उद्धव ठाकरे ने लगाया। मणिपुर में तनाव भड़का। वहां भी भाजपा सत्ता में है। महाराष्ट्र में भाजपा के आने पर फिर दंगे होने लगे हैं। इसका अर्थ यही है कि अनाप-शनाप प्रलोभन देकर निर्वाचित होना और जनता सवाल पूछने लगे तो दंगे करवाना यही भाजपा की नीति है, ऐसा प्रहार उद्धव ठाकरे ने किया।
अब चुनाव आयोग क्या कर रहा है?
कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘जय बजरंग बली बोलो और मतदान करो’ ऐसा आह्वान सार्वजनिक तौर पर किया। ये क्या मामला है। इससे चुनाव आयोग का कानून नहीं टूटता है क्या? अब चुनाव आयोग क्या कर रहा है? अन्य समय में ऐसे बयानों पर चुनाव आयोग सुमोटो (स्वयं संज्ञान) लेकर कार्रवाई किया होता। लेकिन यहां वैसा नहीं हुआ, ऐसे शब्दों में आयोग के कामकाज पर उद्धव ठाकरे ने चाबुक चलाया। यदि सार्वजनिक तौर पर जय बजरंग बली के नाम पर प्रचार करके मोदी मत मांगते होंगे तो हम खुलकर जय भवानी, जय शिवाजी, जय महाकाली, जय श्रीराम, जय शिवशंभो कहकर मतदाताओं का आह्वान करेंगे तब तुम हमें अयोग्य नहीं ठहराना, ऐसी चेतावनी ही इस मौके पर उद्धव ठाकरे ने दी।
‘मिशन’ पहले ही उल्टा पड़ गया!
भाजपा ने मिशन ४०० घोषित किया है। उसकी उद्धव ठाकरे ने खिल्ली उड़ाई। लोकसभा चुनाव की तारीख अभी तक घोषित भी नहीं हुई है फिर भी भाजपा ने मिशन ४०० शुरू किया है। ये ४०० दिन कहां से पकड़े इसका अनुमान नहीं है, परंतु एक अच्छा हुआ कि इन ४०० दिनों में भाजपा की कर्नाटक में पोल खुल गई। कर्नाटक में मतदाताओं को हमें धन्यवाद देना चाहिए। वहां की जनता ने सच्चाई को पहचाना और इनके फर्जी हिंदुत्व के प्रचार का झूठ खुल गया, ऐसे शब्दों में उद्धव ठाकरे ने भाजपा पर हमला किया।
इस रोष को जनता तक पहुंचाओ
महाराष्ट्र के सत्ता संघर्ष पर सर्वोच्च न्यायालय के पैâसले और शिंदे समर्थकों की गद्दारी के संदर्भ में जनता के मन में क्या भावना है, ऐसा सवाल उद्धव ठाकरे ने पदाधिकारियों से पूछा। तो लोगों के मन में गुस्सा है। जो हुआ वो अच्छा नहीं हुआ, ऐसा लोगों को लगता है, ऐसा जवाब पदाधिकारियों ने दिया। इस पर कर्नाटक में डीके शिवकुमार लोगों तक पहुंचते रहे, मिलते रहे यही काम हमें महाराष्ट्र में करना है। उन्होंने पांच साल तक इस रोष को जनता में पहुंचाया लेकिन हमें आठ-दस महीनों में ही इस काम को करना है, ऐसा आह्वान उद्धव ठाकरे ने किया।
१८ जून को राज्यव्यापी शिविर
अगले महीने १९ जून को शिवसेना का वर्धापन दिन है। उस दिन प्रथा के अनुसार षण्मुखानंद सभागृह में वर्धापन दिवस समारोह मनाया जाएगा। इससे पहले १८ जून को वर्ली स्थित एनएससीआई संकुल में पार्टी का राज्यव्यापी शिविर आयोजित किया जाएगा, ऐसी घोषणा उद्धव ठाकरे ने की। इस शिविर में तालुकाप्रमुख, शहरप्रमुख तक के सभी पदाधिकारी शामिल होंगे, ऐसा उन्होंने कहा।

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