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गरीबों की ‘थाली’ हो किसानों का ‘सम्मान’ उद्योग से लेकर मराठी तक का शिंदे सरकार ने घटाया मान … ठंडे बस्ते में डाली उद्धव सरकार की योजनाएं

रामदिनेश यादव / मुंबई
तीन साल पहले राज्य में सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा था कि अचानक शिवसेना से गद्दारों ने गद्दारी करते हुए ३० से अधिक विधायकों के साथ भाजपा को सत्ता परिवर्तन के लिए सहयोग दिया और ३० जून को महाविकास आघाड़ी सरकार गिराकर नई असंवैधानिक सरकार बनाई। गद्दारों की सरकार आने के साथ ही राज्य में तमाम जनकल्याण वाली बेहतरीन योजनाओं पर भी ग्रहण लग गया। महाविकास आघाड़ी सरकार में सीएम रहते हुए उद्धव ठाकरे ने जनकल्याण से जुड़ी तमाम योजनाएं शुरू की थीं, जिनमें गरीबों के लिए मात्र १० रुपए में पेट भर खाने के लिए शिव भोजन थाली योजना, गरीबों के लिए घर योजना, राज्य परिवहन बस सेवा, हर घर नल योजना आदि शामिल है। लेकिन घाती शिंदे की सरकार आते ही महाविकास आघाड़ी सरकार में सीएम उद्धव ठाकरे द्वारा शुरू की गई योजनाओं को ठंडे बस्ते में डालने का काम किया गया।
महाविकास आघाड़ी सरकार की सबसे महत्वपूर्ण लगभग १३ योजनाएं थीं। इनमें महात्मा ज्योतिबा फुले किसान कर्ज माफी योजना व किसान सम्मान योजना, ९०० करोड़ की सायबर सुरक्षा योजना, कॉलोनी में पेड़ों की कटाई पर रोक के साथ वन संवर्धन योजना, राजमार्गों पर २० जगहों पर कृषि केंद्रों की स्थापना की योजना, कोकण में समुद्रतटीय राजमार्गों के लिए ३,५९५ करोड़ रुपए मेगा सड़क योजना, रेवसरेड्डी समुद्र तटीय राजमार्ग, राज्य परिवहन निगम ने सभी बसों में वाई-फाई की सुविधा देने की योजना, मिनी बसों के साथ पुरानी बसों की जगह १,६०० नई बसों की खरीदने की योजना, मैग्नेटिक महाराष्ट्र निवेश जुटाने, शिव भोजन थाली योजना, गरीबों के लिए १० रुपए में भरपेट भोजन थी, अब लगभग बंद हो गई है, महा आवास योजना, ८.२ लाख घर बनाने की योजना, जलापूर्ति के लिए १,६८० करोड़ रुपए की योजना, हर घर नल योजना, मुंबईकरों के लिए पानी उपलब्ध कराने, स्टार्टअप के साथ आईटी सेक्टर में पेटेंट के लिए योजना, मराठी भवन योजना सहित अन्य योजनाओं का समावेश है। उक्त योजनाओं में दो योजनाएं मविआ सरकार में सबसे ज्यादा चर्चा में थी। एक महात्मा ज्योतिबा फुले किसान कर्ज माफी अर्थात किसान सम्मान योजना थी, जिसके तहत किसानों को सम्मान देते हुए मविआ सरकार ने किसानों के लगभग ४० हजार करोड़ रुपए के कर्ज को माफ किया था और दूसरी शिव भोजन थाली योजना थी। जिसके तहत राज्य में कई करोड़ गरीबों को रोजाना मात्र १० रुपए में भरपेट थाली खाना मिलता था। निवेश के लिए महाराष्ट्र की मविआ सरकार ने मैग्नेटिक महाराष्ट्र नामक योजना लाई थी। विदेशी निवेश को महाराष्ट्र में आकर्षित करने के लिए यह योजना शुरू की गई थी। लेकिन शिंदे सरकार ने इस योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया और उसके बाद से निवेश के नाम पर महाराष्ट्र में कंपनियां आने से कतराने लगीं।

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