-धरातल पर नहीं दिखती कागजों पर बनी योजना
सामना संवाददाता / मुंबई
मालाड के ११ तालाबों का कायाकल्प दो वर्षों में किया जाएगा। ऐसी घोषणा केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने की है। यह खबर जहां एक सकारात्मक पहल का संकेत देती है, वहीं मुंबई मनपा की पूर्व लापरवाही को भी उजागर करती है। वर्षों से इन तालाबों की अनदेखी होती रही है। अतिक्रमण, गंदगी, सीवेज की समस्या और रख-रखाव की कमी ने इन जलस्रोतों को प्रदूषित और उपेक्षित बना दिया।
रिपोर्ट की मानें तो २०२२ में भी पी उत्तर वार्ड में १८ तालाबों के सुधार की योजना बनी थी, लेकिन वह जमीन पर नहीं उतर पाई। इसका सीधा संकेत है कि मनपा योजनाएं तो बनाती है, लेकिन उनके क्रियान्वयन में गंभीरता की कमी है। सवाल यह उठता है कि जब पहले से ही तालाबों की हालत बिगड़ रही थी तो समय रहते कदम क्यों नहीं उठाए गए?
अब जब सांसद खुद इस मुद्दे में रुचि दिखा रहे हैं और प्रोजेक्ट मुंबई जैसी संस्था सहयोग कर रही है तो उम्मीद बनी है कि यह प्रयास सफल होगा। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि मनपा अकेले इस कार्य में न तो सक्षम रही है और न ही इच्छुक ही। प्रोजेक्ट मुंबई के अनुसार, तालाबों के आसपास रोशनी, बैठने की व्यवस्था और साफ-सफाई जैसे काम आसान हैं, लेकिन सीवेज और प्रदूषण जैसी जटिल समस्याओं के लिए मनपा की पूर्ण भागीदारी जरूरी है।
समुदाय की भागीदारी की बात सही है, लेकिन जब तक प्रशासन जवाबदेह नहीं बनेगा, तब तक कोई भी योजना टिकाऊ नहीं हो सकती। यह परियोजना मनपा के लिए एक परीक्षा है, क्या वह अपनी छवि को सुधार पाएगी या फिर यह भी एक अधूरी योजना बनकर रह जाएगी?