सामना संवाददाता / ठाणे
एक ओर हमारा देश हर क्षेत्र में प्रगति कर रहा है और इंटरनेट, मोबाइल, आधुनिक तकनीक से हम दुनिया को टक्कर दे रहे हैं। वहीं दूसरी ओर गांवों में कई लड़कियां बाल विवाह का शिकार हो रही हैं। गांव की तरह अब यह शहरी क्षेत्रों में भी बढ़ता दिख रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक अप्रैल २०२० से अब तक जिला प्रशासन ने कार्रवाई कर २३ बाल विवाह रोके हैं। बाल विवाह के ज्यादातर मामले शहरी इलाकों के हैं। ठाणे जिले को `बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान के तहत १५० ग्राम पंचायतें बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में जन जागरूकता पैदा करेंगी और नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से जानकारी प्रदान करेंगी।
बता दें कि बाल विवाह रोकथाम दिवस के अवसर पर जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी कार्यालय, आंतरिक जिला बाल संरक्षण सेल ने बुधवार को जिला कलेक्टर अशोक शिंगारे द्वारा `बालविवाह मुक्त भारत अभियान’ रथ का उद्घाटन किया। कानूनी रोक के बावजूद आज भी बाल विवाह कम होता नजर नहीं आ रहा है। प्रगतिशील और विकसित देशों में भी बाल विवाह की दर प्रतीकात्मक है। इसमें देखा गया कि कोरोना काल में बाल विवाह की दर बढ़ रही है। कानून कहता है कि लड़कों की शादी की उम्र २१ साल और लड़कियों की १८ साल होनी चाहिए।
ठाणे जिले के ग्रामीण इलाकों की तरह शहरी इलाकों में भी बाल विवाह की घटनाएं बढ़ रही हैं। अप्रैल २०२० से फरवरी २०२४ तक जिला महिला एवं बाल कल्याण विभाग को बाल विवाह संबंधी शिकायतें प्राप्त हुर्इं। प्राप्त शिकायतों के बाद जिला मजिस्ट्रेट अशोक शिंगारे के मार्गदर्शन में जिला प्रशासन २३ बाल विवाह रोकने में सफल रहा। सूत्रों ने बताया कि जिले के अंबरनाथ, उल्हासनगर शहरी क्षेत्र, शाहपुर और मुरबाड क्षेत्र में बाल विवाह की दर अधिक है।