• पांच वर्षों में हिट-एंड-रन में ७० लोगों की मौत
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई शहर में विषम समय के दौरान नशे की हालात में तेज रफ्तार से कार चलाना घातक सड़क दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण बनता जा रहा है। यह खुद ट्रैफिक पुलिस और विशेषज्ञ भी मानने लगे हैं। ट्रैफिक पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में बीते कुछ सालों में बेवड़े ड्राइवर्स की बारात बढ़ने लगी है। जनवरी से फरवरी इन दो महीनों के बीच २२१ बेवड़े चालकों का ई-चालान कटा है। साल २०२२ और २०२१ की तुलना में इस साल क्रमश: ३८ और २४ ऐसे मामले बढ़े हैं, जो लोगों को चौंका रहे हैं। दूसरी तरफ पांच सालों में हिट एंड रन की वजह से ७० लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में कहा गया है कि २०१९ और २०२१ के बीच शहर में ४८१ राहगीरों से जुड़े ४५९ हिट-एंड-रन मामले दर्ज किए गए थे। इसी तरह गैर-लाभकारी एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि साल २०१५ से २०२० तक शहर की सड़कों पर नशे में धुत मोटर चालकों द्वारा टक्कर मारने से ७० की मौतें हुई, जबकि ५५५ घायल हुए थे। एनसीआरबी की रिपोर्ट (दिल्ली से जारी) में २०१५ से २०२१ तक शराब पीकर गाड़ी चलाने की घटनाओं के कारण २४ मौतें और ६७ घायल होने को दिखाया गया है।
नशेड़ी ड्राइवर्स की जांच
ट्रैफिक के संयुक्त पुलिस आयुक्त प्रवीण पडवल का कहना है कि वे शहर के सभी महत्वपूर्ण स्थानों पर विशेष रूप से सप्ताह के अंत और सार्वजनिक छुट्टियों पर नशेड़ी ड्राइवरों के खिलाफ सघन जांच की जाती है। उनके मुताबिक, बीते कुछ वर्षों के मुकाबले साल २०२३ के पहले दो महीनों में ई-चालान की हुई कार्रवाई की संख्या में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।