जितेंद्र मल्लाह / मुंबई
पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत बनने वाली हाइवे जैसे प्रमुख सड़कों, बड़े ब्रिज, सुरंग आदि के रखरखाव व लागत वसूली के लिए टोल वसूली का प्रावधान सरकार ने किया है। लेकिन जनता के उग्र विरोध के बाद बांद्रा टर्मिनस पर बंद की गई ‘अवैध’ टोल वसूली जल्द ही फिर से शुरू हो सकती है। वो भी ऐसे समय में जब केंद्र सरकार हाइवे से टोल बूथों को हटाने की तैयारी कर रही है। रेलवे प्रशासन की मदद से टोल ठेकेदार के लोग बांद्रा टर्मिनस पर इसकी तैयारियों में जोर शोर से जुटे हैं। ‘दोपहर का सामना’ ने ८ मार्च को पुरानी सड़क पर की जा रही इस वसूली के मुद्दे को उठाया था। सफर शुरू करने के लिए वाहनों में आनेवाले यात्रियों से टर्मिनस में प्रवेश करने के पहले वसूले जाने वाले उक्त ‘टोल टैक्स’ का रेल यात्री एवं स्थानीय लोग भी उग्र विरोध कर रहे हैं, लेकिन रेल प्रशासन ‘वसूली’ जारी रखने की अपनी जिद पर अड़ा है।
बता दें कि लगभग ३० साल पुराने बांद्रा टर्मिनस पर करीब महीने भर पहले टोल वसूली शुरू की गई थी। बांद्रा टर्मिनस की मुख्य इमारत से दक्षिण में करीब ५०० मीटर दूर तथा उत्तर में पार्सल ऑफिस के पास करीब २०० मीटर की दूरी पर टोल बूथ बनाए गए हैं। बताया जा रहा है कि इन टोल बूथों से अंदर प्रवेश करने पर यात्रियों से ३० रुपए टोल के रूप में वसूले जा रहे थे।
पार्किंग के ठेके पर ‘टोल’ वसूली
गौरतलब हो कि बांद्रा टर्मिनस पर पार्किंग ठेकेदार को ७६३ वर्ग मीटर का क्षेत्र रेलवे ने पार्किंग शुल्क वसूली के लिए दिया है। बताया जा रहा है कि इसके लिए ठेकेदार द्वारा रेलवे को प्रति वर्ष करीब ४४ लाख रुपए का भुगतान करने का करार हुआ है। दोपहर का सामना द्वारा पूछे जाने पर ठेकेदार को पार्किंग का ठेका दिए जाने की बात पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी सुमीत ठाकुर ने भी स्वीकार की। जबकि बांद्रा टर्मिनस के एक अधिकारी ने बताया कि ठेकेदार को लागत वसूली के लिए पार्विंâग शुल्क के साथ टोल टैक्स वसूलने की अनुमति भी दी गई है।
दो बार हो चुका है बवाल
बांद्रा टर्मिनस के संबंधित अधिकारी टैक्सी, ऑटो रिक्शा चालकों पर नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हैं और कहते हैं कि ५ मिनट में यात्रियों को उतारकर वापस लौटने वाले वाहन चालकों को टोल का पैसा वापस देने का प्रावधान रखा गया है। जबकि दूसरी ओर टैक्सी चालकों का कहना है कि वाहन चालकों के लिए टोल बूथ से मुख्य इमारत तक पहुंचना और सामान के साथ आए यात्रियों को उतार कर वापस टोल बूथ तक पहुंचना ५ मिनट में संभव ही नहीं है। टैक्सी, ऑटो रिक्शा चालकों को रेलवे प्रशासन के इस कदम से अपनी रोजी-रोटी खतरे में पड़ती नजर आ रही है। टैक्सी, ऑटो-रिक्शाचालकों एवं रेल यात्रियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में बांद्रा टर्मिनस रोड से आवाजाही करने वाले स्थानीय लोग भी पुरानी सड़क पर टोल वसूली को नाजायज बताते हुए विरोध कर रहे हैं। ८ मार्च को बांद्रा टर्मिनस पर स्टेशन डायरेक्टर कार्यालय में अपना विरोध दर्ज कराने पहुंचे स्थानीय लोगों का टोल कर्मियों से झगडा हो गया था। ऐन मौके पर पहुंचे निर्मल नगर पुलिस के अधिकारियों ने ‘अवैध’ टोल वसूली बंद कराकर मामला शांत कराया था। इसके अलावा १३ मार्च को मुंबई टैक्सी मेन्स यूनियन की ओर से बांद्रा टर्मिनस पर उग्र आंदोलन किया गया था। इसी तरह २० मार्च को पार्विंâग कर्मियों और रेल यात्रियों के बीच मारपीट हुई थी।
आंदोलन की चेतावनी
टैक्सी-रिक्शा चालकों से टोल वसूली के विरोध में मुंबई टैक्सी मेन्स युनियन ने पश्चिम रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक को पत्र लिख उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।