सामना संवाददाता / मुंबई
केंद्र सरकार कितना भी महंगाई काबू में रहने का दावा कर रही है, पर हकीकत कुछ और है। अब तो आरबीआई ने भी मान लिया है कि महंगाई काबू में नहीं आ रही है। आरबीआई ने अपने मासिक बुलेटिन में कहा है कि खाद्य पदार्थों की कीमतों में अस्थिरता एक आकस्मिक जोखिम बनी हुई है।
आरबीआई ने अपने बुलेटिन में कहा, ‘उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति अगस्त में लगातार दूसरे महीने रिजर्व बैंक के लक्ष्य से नीचे आई, हालांकि, हाल के अनुभव के मद्देनजर, खाद्य पदार्थों की कीमतों में अस्थिरता एक आकस्मिक जोखिम बनी हुई है।’ देश के केंद्रीय बैंक ने यह भी संकेत दिया कि वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में मंदी और मुद्रास्फीति की सुस्त स्थिति मौद्रिक नीति अधिकारियों के बीच सतर्कता की भावना पैदा कर रही है। आरबीआई ने अपने बयान में कहा, ‘वैश्विक आर्थिक गतिविधि धीमी हो रही हैं, जबकि मुद्रास्फीति की गति सुस्त बनी हुई है, जिससे मौद्रिक नीति अधिकारियों के बीच सतर्कता बढ़ रही है।’ आरबीआई ने कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए घरेलू स्थितियां, जैसे निजी खपत और सकल स्थिर निवेश, मजबूत थे और देश का शुद्ध निर्यात वित्तीय वर्ष २०२४-२५ की पहली तिमाही में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के समर्थन में क्रमिक रूप से सकारात्मक रहा। भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा, ‘कुछ सब्जियों की कीमतों में आए झटके महंगाई का कारण बने हुए हैं। अगर यह जारी रहता है और बढ़ता है, तो २०२४-२५ की पहली तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति को संभालना मुश्किल हो सकता है।’ केंद्रीय बैंक ने चेतावनी दी कि सितंबर की संख्या पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
‘कुछ सब्जियों की कीमतों में आए झटके महंगाई का कारण बने हुए हैं। अगर यह जारी रहता है और बढ़ता है, तो २०२४-२५ की पहली तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति को संभालना मुश्किल हो सकता है।’