• मालाड अग्निकांड पर सरकार के रुख से बवाल
• मुख्यमंत्री ‘मिंधे’ की दिखी नासमझी
रामदिनेश यादव / मुंबई
मालाड अप्पा पाड़ा में झुग्गी बस्तियों में लगी आग से लगभग १२ हजार से अधिक लोगों की छत गायब हो गई है। अनाज के दाने के लिए थाली लेकर कतारों में खड़े लोगों की वेदना पीड़ादायी है। उनके पास सोने के लिए बिस्तर भी नहीं बचे हैं। खुले आसमान में बिना चद्दर के रात बिताने वाले लोगों की आंखों में इस समय सिर्फ आंसू ही हैं। इन आंसुओं को पोंछने के बजाय मौजूदा ‘मिंधे’ सरकार उन्हें सहयोग करनेवाले वन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की बात कर रही है। ऐसा दावा स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री के ऑफिशियल ट्विटर अकाउंट पर एक मैसेज को दिखाते हुए किया। जिस पर लिखा गया है कि वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण रोकने में असक्षम अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। मिंधे सरकार के इस ट्वीट को लेकर लोगों में आक्रोश है। उनका कहना है कि सरकार हमारी मदद की बजाय हमारी मदद करनेवाले अधिकारियों को धमका रही है।
अप्पा पाड़ा में अग्नि कांड में अपना घर खो चुके अमित मिश्रा सहित अन्य लोगों ने साफ कहा कि जब यहां १२ हजार से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं। ऐसे समय में इस निर्दयी सरकार के मुख्यमंत्री का यह कृत्य साफ-साफ नासमझी जाहिर करता है। वहीं धीरज ने कहा कि सरकार की तरफ से अब तक न तो कोई नुमाइंदा आया, न ही कोई अधिकारी और न ही कोई मंत्री आया। लोगों को सरकार ने उनकी हालत पर मरने के लिए छोड़ दिया है और ऊपर से ऐसे ट्वीट कर हमारे घाव को कुरेद रही है। यदि सरकार का रवैया ऐसे ही अड़ियल रहा तो हम सरकार के खिलाफ आंदोलन करेंगे।