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जिसने बनाया उसी शिल्पकार को चुराया जा रहा है! उद्धव ठाकरे का घातियों समेत अजीत पवार पर सीधा हमला

सामना संवाददाता / मुंबई
खुद की कोई भी उपलब्धि नहीं है, खुद शिल्पकार हो ही नहीं सकते पर जिन्होंने बनाया उसी शिल्पकार को ही चुराए जाने का प्रयास जारी है। इन शब्दों में शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने घाती गुट के साथ भाजपा से जाकर मिले अजीत पवार गुट पर सीधा हमला बोला। वरिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी, ‘लोकमत’ समूह के संस्थापक-संपादक जवाहरलाल दर्डा उर्फ बाबूजी के जन्मशताब्दी समापन समारोह का कल वर्ली के नेहरू सेंटर में आयोजन किया गया था। उक्त अवसर पर उद्धव ठाकरे बोल रहे थे।

आजादी की लड़ाई से जिनका रत्तीभर भी संबंध नहीं, वो विचारधारा देश पर राज कर रही है

उद्धव ठाकरे ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भाजपा पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जिनका देश की आजादी की लड़ाई से रत्तीभर भी संबंध नहीं, वो विचारधारा आज देश पर राज कर रही है और देश को अपना बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में बाबूजी जैसे स्वतंत्रता सेनानियों ने जो किया, उसे न केवल याद किया जाना चाहिए, बल्कि उसे व्यवहार में भी लाना चाहिए।
इस दौरान उन्होंने मौजूदा राजनीतिक हालातों पर भी जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि अब कई लोगों को मुख्यमंत्री बनना है। दिन निकलता है और ढल जाता है, सत्ता आती है और चली जाती है। पद आते हैं और चले जाते हैं। फिर भी इंसान के तौर पर अपनी पहचान होती है। उस पद पर रहते हुए हम उसका किस तरह इस्तेमाल करते हैं, यह महत्वपूर्ण है।
जवाहरलाल दर्डा के किए गए कार्यों की प्रशंसा करते हुए, संस्कार वैâसे दिए जाते हैं, यह आज ‘लोकमत’ संपादकीय मंडल के अध्यक्ष डॉ. विजय दर्डा और समूह के प्रमुख संपादक राजेंद्र दर्डा ने बाबूजी की यादों को आंखों के सामने रख दिया है, ऐसा भी उद्धव ठाकरे ने कहा।

अनुभवी साथियों से ही कोविड में सफलता मिली
बाबूजी एक मुख्यमंत्री पद को छोड़कर सभी विभाग संभालते थे और मैंने मुख्यमंत्री पद को छोड़कर कोई अन्य विभाग नहीं संभाला है। मुझे प्रशासन का कोई अनुभव नहीं था, लेकिन उस संकट के दौरान मुझे ये अनुभवी लोग सहयोगी के रूप में मिले। उद्धव ठाकरे ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं कोविड काल में अकेले नहीं लड़ रहा था, बल्कि ये सभी लोग लड़ रहे थे इसलिए हम सफलता हासिल कर पाए।
…तो बदनाम क्यों करते हो?
इस मौके पर कोविड काल के दौरान मुंबई मनपा में भ्रष्टाचार का आरोप लगानेवाली घाती सरकार को भी उद्धव ठाकरे ने आड़े हाथों लिया। कोविड में मुंबई मॉडल की दुनिया ने सराहना की लेकिन घाती सरकार में इसकी प्रशंसा करने की गरिमा नहीं है। उद्धव ठाकरे ने अफसोस जताते हुए कहा कि सराहना करने के लिए बड़ा दिल चाहिए। यदि कोई दूसरा कुछ अच्छा कर रहा है तो उसे अच्छा कहने के लिए इंसानियत लगती है। लेकिन घातियों में इंसानियत मर गई होगी, तो उनकी ओर से प्रशंसा का सवाल ही नहीं उठता, ऐसा कहते हुए प्रशंसा नहीं की तो बदनाम क्यों कर रहे हो? ऐसा मुंहतोड़ सवाल भी उद्धव ठाकरे ने किया।
पीएम केयर फंड की भी जांच करो
उद्धव ठाकरे ने मांग की कि पीएम केयर फंड की भी जांच होनी चाहिए, जब मुंबई मनपा की जांच हो रही है तो देश के सभी राज्यों में कोविड काल में हुए घोटालों की जांच होनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आप कोविड काल के दौरान मुंबई मनपा में कथित कुप्रबंधन की जांच कर रहे हैं, तो पीएम केयर फंड का क्या हुआ? इसकी भी जांच करो। पीएम केयर फंड में लाखों-करोड़ों रुपए जमा हैं, यह भी जनता का पैसा है और जनता को पता होना चाहिए कि इसे किसने लिया और इसका उपयोग किस काम में किया गया, ऐसा भी उन्होंने कहा।
…तो बताओ, आखिर पैसे गए कहां?
पीएम केयर फंड कोई सरकारी नहीं है, इसकी जांच नहीं हो सकती, ऐसा सरकार अब कह रही है। तब वास्तव में यह फंड है किसका? पीएम मतलब क्या ‘हास्यजत्रा’ के प्रभाकर मोरे का फंड है ये? फिर बताओ, ये पैसे आखिर गए कहां, ऐसा तंज भी उन्होंने इस दौरान कसा।
अपशकुनी मामा पर अब विचार करने का समय आ गया है
इस तरह एक-दूसरे की कमियां ढूंढ़ने की बजाय हमने एक हिंदुस्थानी के नाते जिस तरह से कोविड की लड़ाई लड़ी, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई ने जो कोविड से मुकाबला किया, उसकी जो प्रशंसा विश्वभर में हुई, उसे अपशकुन करना उचित नहीं है। इन सभी अपशकुनी मामाओं के बारे में विचार करने का समय आ गया है।
देश में लोकतंत्र है या नहीं?
उद्धव ठाकरे ने केंद्र की भाजपा सरकार की तानाशाही की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों का कोई भी समर्थन नहीं करेगा, लेकिन जिन्होंने यह लादा, उन्हें भी इसके खिलाफ प्रचार करने की छूट दी थी। पुल. और दुर्गाबाई भी मैदान में उतरे थे। उन्हें उतरने दिया, वह भी लोकतंत्र ही था। लेकिन अब कोई न बोले नहीं, और बोले तो उसकी जुबान बंद कर दी जा रही है। देश में लोकतंत्र है या नहीं? ऐसा सवाल भी उद्धव ठाकरे ने किया। ‘लोकमत’ की ‘संघर्षयात्री’ इस विशेष परिशिष्ट का उल्लेख करते हुए उद्धव ठाकरे ने गद्दार गुट पर निशाना साधा। संघर्षयात्री यह एक शब्द है, लेकिन यात्री बहुत होते हैं। टूर-ट्रैवल्सवाले भी होते हैं। सूरत, गुवाहाटी में घूमते हैं, ऐसा तंज भी उद्धव ठाकरे ने इस दौरान कसा।

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