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मौसम तो दो दिन का पावन है, पूरा जीवन ही मेरा सावन है

-सावन साहित्य सेवा सदन की कवि गोष्ठी संपन्न

सामना संवाददाता / मुंबई

सावन साहित्य सेवा सदन, कुशीनगर के पटल पर मधुर साहित्य सामाजिक काव्य संस्था की 112 वीं कवि गोष्ठी सम्पन्न हुई, जिसमें हिंदी, भोजपुरी, अवधी एवं ब्रजभाषा के साहित्यकारों ने अपनी प्रतिनिधि रचनाएं प्रस्तुत की। अध्यक्षता मधुसूदन पाण्डेय मधुर ने की। कवि गोष्ठी का आयोजन एवं संचालन सुनील चौरसिया ‘सावन’ ने किया।
कार्यक्रम की शुरुआत वरिष्ठ साहित्यकार त्रिलोकी नाथ त्रिपाठी चंचरीक की सरस्वती वंदना से हुई। मुख्य अतिथि रामदेव शर्मा ‘राही’ ने ‘हम तेरी इक नज़र को तरसे हैं, हिज़्र में दीद-ए-तर बरसे हैं। कूचा-ए-यार में रहेंगे अब, सोचकर निकले यही घर से हैं।’ सुनाकर कवि गोष्ठी को नयी ऊंचाई प्रदान की।
तत्पश्चात् देहरादून, उत्तराखंड से कवि नन्द किशोर बहुखंडी ने पावस ऋतु है आई सजनवा, धक- धक धड़के मोरा करजवा । हरियाली चहुँओर बिछी है, मन को पुलकित किए जाती है तथा हाथरस से कवि वीरेंद्र पाठक ने आप आये नहीं और सुबह हो गई , मेरी पूजा की थाली धरी रह गई’ सुनाकर वाहवाही लूटी। प्रीति चौरसिया राधा ने गणित साहित्य ‘काश! मैं Sec θ होती और तुम tan θ होते, फिर square लगाकर घटे ही हम दोनों एक जाते’ सुनाया जिसे साहित्यकारों ने सराहा। सुनील चौरसिया ‘सावन’ ने ‘स्वप्न लोक की सुन्दरी’ नामक कविता ‘एक रात्रि की सुनो कहानी , स्वप्न में आई बिटिया रानी, स्वप्न में परिवार था , खुशियों का संसार था, खेल रही थी बिटिया रानी, ध्यान से सुनो पूरी कहानी’ सुनाकर सबको भाव-विभोर कर दिया। मधुसूदन पाण्डेय मधुर ने भोजपुरी कविता ‘पिया ग‌इले परदेश हो, क‌इसे बंगला छवाय। काटल बांस मसुआइल हो, क‌इसे बतिया फराय… तथा डॉ. राजेश तिवारी ‘मक्खन’ ने झांसी उप्र से गोपी गा रही राग मल्हार, प्यारी पावस की ऋतु आई । प्यारी पावस की ऋतु आई, दई मेघों ने झरी लगाई’ प्रस्तुत की।
उपन्यासकार एवं कवयित्री अस्मिता प्रशांत पुष्पांजलि ने श्रृंगार रस की मनमोहक कविता ‘चुराने वालों की हम नींद चुरा लें, गर वो सपनों में आना छोड़ दें’ सुनायी। काजल यादव ‘काविका’ ने ‘मौसम तो दो दिन का पावन है, पूरा जीवन ही मेरा सावन है’ सुनाकर तालियां बटोरी। सार्जेंट अभिमन्यु पांडेय मन्नू, सुशील कुमार सुमन, रसबिंदु , डॉ. शशि जायसवाल, डॉ. कृपा शंकर मिश्रा इत्यादि साहित्यकारों की प्रतिनिधि रचनाओं ने कवि गोष्ठी में चार चाँद लगा दिया। कार्यक्रम का समापन अध्यक्ष के उद्बोधन से हुआ। इस अवसर पर श्रोतागण के रूप में सुप्रीति चौरसिया, मंजू, आराधना पांडेय, रामकेवल चौरसिया, उर्मिला , प्रियंका, नंदिनी, संदीप, शैलेंद्र, सत्या , सोना, पिन्टू, वंदना आदि उपस्थित रहे।

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