रवीन्द्र मिश्रा / मुंबई
पान जिसे शास्त्रों ने तांबूलं मुख भूषणम् यानि मुख का आभूषण कहा है, उस पान में सेहत के कितने राज छिपे हैं वह शायद बहुत कम लोगों को पता होगा। बोरीवली-पश्चिम चंदावरकर रोड पर ओम शांति चौक के पास मुंबई की प्रसिद्ध पान की दुकान घंटा पान के संचालक विनोद तिवारी कहते हैं कि पान एक ऐसी चीज है, जो इंसान से लेकर देवताओं तक को पसंद है। हृदय के आकार का यह पत्ता जिसे खाने के बाद मुंह लाल हो जाता है। इसे लोग प्रेम का प्रतीक मानते हैं। इसे लोग पूजा के समय पान के पत्तों में लवंग, इलायची तथा सोपारी रख कर उसका बीड़ा बना कर (पुंगी फलं महादिव्यं नागवल्ली दलैर्युतम्, एलालवंग संयुक्तं तांबूल प्रति गृह्यताम्) मंत्र पढ़ कर जिस देवी-देवता की पूजा करते हैं, उसे अर्पित करते हैं। कुछ लोग पान के पत्तों पर कपूर जलाते हुए भी देखे गए हैं । पान के पत्तों का धार्मिक अनुष्ठानों में भले ही प्रयोग होता हो, लेकिन सबसे ज्यादा उपयोग इसका आयुर्वेदिक इलाज में ज्यादा किया जा रहा है। इसमें कुछ ऐसे औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो विभिन्न विमारियों मे लाभदायक होते हैं। इसके सेवन से खांसी, जुकाम सर्दी से राहत मिलती है। इसमें पाए जाने वाले एंटी फंगल से मुंह के जर्म मर जाते हैं। यह कील मुहांसे को ठीक करता है। यह श्वास की बिमारी में भी लाभ प्रद होता है। पाचन शक्ति बढ़ाता है। डिप्रेशन से भी निजात मिलती है। ज्यादा नींद आने पर लोग पान खाते हैं इससे कुछ देर के लिए नींद आनी बंद हो जाती है। देहरादून में रहने वाले डॉक्टर विमल छाजेड़ इसी तरह की आयुर्वेदिक औषधियों से कैंसर जैसे रोगों का इलाज कर रहे हैं। हिंदुस्थान के अधिकांश प्रदेशों में इसकी खेती की जाती है, जिसमें पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, बिहार, उड़ीसा, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक आदि शामिल हैं। पान के पत्तों में बंगला मीठा, मघही, बनारसी तथा महाराष्ट्र का कपूरी पान लोगों को ज्यादा पसंद आते हैं।