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कश्मीर में नहीं थम रहा है मौतों का सिलसिला! …चार साल में हुई 1147 मौतें

–सुरेश एस डुग्गर–
जम्मू। पांच अगस्त 2019 को कश्मीर में जिस अनुच्छेद 370 को हिंसा का प्रमुख कारण बताते हुए हटा दिया गया था उसके चार साल बीत जाने के बाद भी कश्मीर को हिंसा से मुक्ति नहीं मिल पाई है। हिंसा में कमी तो है पर आज भी कश्मीर प्रतिदिन एक मौत को देखने को मजबूर है।

इसकी पुष्टि खुद सरकारी आंकड़े करते थे। इस संबंध में जारी किए गए आंकड़े बताते थे कि 5 अगस्त 2019 से लेकर 22 मार्च 2023 तक के चार साल के अरसे में कश्मीर ने कुल 1147 मौतें देखी हैं। इनमें हालांकि सबसे बड़ा आंकड़ा आतंकियों का ही था जिनके विरूद्ध कई तरह के ऑपरेशन चला उन्हें मैदान से भाग निकलने को मजबूर किया गया लेकिन नागरिकों व सुरक्षाबलों की मौतें भी यथावत हैं। आंकड़े कहते थे कि 788 आतंकी इस अवधि में ढेर कर दिए गए। तो इसी अवधि में 210 सुरक्षाकर्मियों को शहादत देकर इस सफलता को प्राप्त करना पड़ा।

आतंकियों द्वारा नागरिकों को मारने का सिलसिला भी यथावत जारी था। हालांकि पुलिस के दावानुसार, इस अवधि में कोई भी नागरिक कानून व्यवस्था बनाए रखने की प्रक्रिया के दौरान नहीं मारा गया बल्कि इन चार सालों में जो 149 नागरिक मारे गए उन्हें आतंकियों ने ही मार डाला। इतना जरूर था कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आतंकियों के सबसे अधिक हमले प्रवासी नगरिकाें के साथ साथ हिंदुओं पर भी हुए हैं। जो लगातार जारी हैं। पिछले साल पांच अगस्त की बरसी की पूर्व संध्या पर भी आतंकियों ने पुलवामा मे ग्रेनेड हमला कर एक बिहारी श्रमिक की जान ले ली थी।

अगर इन आंकड़ों पर जाएं तो कश्मीर ने प्रतिदिन औसतन एक मौत देखी है और आतंकियों व अन्य मौतों के बीच 2:1 का अनुपात रहा है। अर्थात अगर दो आतंकी मारे गए तो एक सुरक्षाकर्मी व नागरिक भी मारा गया। पहले यह अनुपात 3: 2 का था। इतना जरूर था कि 5 अगस्त की कवायद के उपरांत कश्मीर में आतंकवाद का चेहरा भी बदल गया है। अब कश्मीर हाइब्रिड आतंकियों की फौज से जूझने को मजबूर है जो सुरक्षाबलों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं।

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