योगेश कुमार सोनी
किसी भी देश का अस्तित्व युवाओं पर आधारित होता है। इसलिए २०१४ में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने युवाओं को रोजगार, सभ्य कार्य और उद्यमिता के लिए कौशल से लैस करने के रणनीतिक महत्व का जश्न मनाने के लिए १५ जुलाई को विश्व युवा कौशल दिवस के रूप में घोषित किया। यदि हम भारत के परिवेश में बात करें तो विश्व में सबसे अधिक युवाओं की संख्या हमारे यहां है, लेकिन दुर्भाग्यवश हम बेरोजगारी में सबसे आगे हैं। देश की राजनीति में, जनता से सबसे ज्यादा वादा नौकरी का किया जाता है और उस पर ही काम नहीं होता। व्यापारिक दृष्टिकोण को समझें तो अब कोई भी नया व्यापार स्थापित करने से डरता है, चूंकि जो पुराने व्यापारी हैं वो लोग ही अपने व्यापार को संचालित करने के लिए हर रोज तमाम चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इस घटनाक्रम से स्थिति यह है युवा शॉर्ट कट अथवा गलत कार्यों की ओर बढ़ रहा है और उदाहरण यह है कि चोरी व डकैती में पकड़े जानेवाले अधिकतर युवा प़ढ़े-लिखे पकड़े जाने लगे।
दिखावे के लिए इस दिवस के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित प्रतियोगिताओं में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसमें विभिन्न देशों के युवा विज्ञान, कला और प्रौद्योगिकी के विभिन्न क्षेत्रों में अपने कौशल दिखानेवाले कार्यक्रम में भाग लेते हैं। हमारे देश में तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘कौशल भारत’ अभियान के रूप में चिह्नित किया है, लेकिन हकीकत यह है कि यह मात्र अभियान ही है। इससे संबंधित फायदा कहीं नहीं दिखता। हमारे यहां चतुर्थ श्रेणी की दस नौकरी के लिए हजारों नहीं, लाखों बेहद शिक्षित युवा एप्लाई करते हैं और ऐसा एक बार नहीं बीते दशकभर में ऐसा कई बार हुआ, जो मीडिया की सुर्खियां बना रहा। हालांकि, कुछ खबरिया चैनल तो बाकी देशों से अपनी स्थिति बेहतर बताने में लगे रहे। हम अभी भी युवाओं के कौशल के सही से प्रयोग नहीं कर सके हैं तो चूंकि देश में हमारे युवाओं की कदर नहीं, अन्यथा भारत का व्यक्ति हर देश में अपना बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। जानकारी दे दी जाए कि हमारे यहां का गणित विषय का अध्यापक पूरे विश्व में सर्वश्रेष्ठ माना जाता है, लेकिन हमारे यहां इतनी चुनौतियां हैं कि जो एक बार विदेश चला जाता है वह फिर वापस नहीं आता चूंकि यहां ईमानदारी से कमाकर खाना बेहद मुश्किल है। हम `मेक इन इंडिया’ व `डिजिटल इंडिया’ के युग में जी रहे हैं और केंद्र सरकार ने इसको लेकर इतना हल्ला मचाया था कि इससे देश में इतनी तरक्की पैâलेगी कि हम विश्व गुरु बन जाएंगे। प्रधानमंत्री द्वारा तमाम योजनाएं चलाई गईं, जो धरातल पर शून्य हैं। भारत देश की आजादी में देश के तमाम युवाओं ने बलिदान दिया और हम उसके बावजूद इस वर्ग की गंभीरता को समझने में असक्षम हैं। ट्रेनिंग प्वाइंट का मुख्य किरदार हमेशा युवाओं द्वारा ही निभाया गया है। आज भी हम उस पटल को तय कर सकते हैं, जिससे एक बड़ा बदलाव आ सकता है। इसलिए केंद्र सरकार को समय रहते युवाओं से संबंधित सभी योजनाओं को आगे बढ़ाना चाहिए, जिससे देश हर रोज नई ऊर्जा के साथ अग्रसर हो। सही दिशा का तय होना युवा शक्ति पर निर्भर करता है, चूंकि वह हर दृष्टिकोण से हर स्थिति को भांप कर निर्णय लेने में सक्षम माना जाता है।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व राजनीतिक मामलों के जानकार हैं।)