मुख्यपृष्ठस्तंभफिर मंडरा रहा आतंकवाद का साया!

फिर मंडरा रहा आतंकवाद का साया!

जम्मू-कश्मीर जिला कठुआ के पहाड़ी इलाके सरथल से सटे छत्रगलां और लोहाई मल्हार से सटे बसंतगढ़ में आतंकवाद का साया फिर मंडराने लगा है। जब क्षेत्र में हमले हुए तो इसके बाद सेना ने यहां मोर्चा संभाल लिया है। पहाड़ी इलाकों में सुरक्षा की जिम्मेदारी फिर सेना को मिल गई है। बता दें कि बनी और मछेड़ी दोनों ही इलाकों में सेना की वापसी हो गई है। दोनों जगह सेना की एक-एक कंपनी तैनात कर दी गई है। बताया जा रहा है कि श्री अमरनाथ यात्रा से ठीक पहले आतंकियों के सफाए के लिए यह बड़ा कदम उठाया गया है।
सूत्रों के अनुसार, स्थायी तौर से बनी से हटाई गई सेना की वापसी लगभग छह महीने बाद हुई है। हालांकि, सेना को हटाने की प्रक्रिया वर्ष २०१५ में शुरू की गई थी। इन इलाकों को शांतिपूर्ण बताते हुए और आतंकियों की मौजूदगी खत्म होने के बाद सेना को धीरे-धीरे हटा लिया गया था। गौरतलब है कि जिले का पहाड़ी उपमंडल बनी और बिलावर का लोहाई मल्हार इलाका बीते साढ़े तीन दशक से बेहद संवेदनशील रहा है। ९० के दशक में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से घुसपैठ के बाद आतंकी नदी-नालों से होते हुए जिले के पहाड़ी इलाकों में रुकते रहे, जिससे इन इलाकों में दहशत थी।
देश की सरकार दावा करती रही कि बीते एक दशक में सेना ने इन इलाकों में आतंक का पूरी तरह से सफाया कर दिया। बाकायदा मददगारों के रूप में काम कर रहे स्लीपर सेल भी ध्वस्त किए गए, जिसके बाद पाकिस्तान ने रणनीति बदल दी थी। अब फिलहाल की आतंकी वारदातों के बाद साफ हो गया है कि पाकिस्तान एक बार फिर पहाड़ी इलाकों में आतंक को जिंदा करने की फिराक में है। ऐसे में स्थानीय लोग भी सेना की वापसी की मांग कर रहे थे। बनी और मछेड़ी के इलाके में सेना के पहुंचने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली है। किसी भी गतिविधि पर फौरी कार्रवाई के लिए अब सेना इन इलाकों में लगातार गश्त करने वाली है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, ९० के दशक की शुरूआत में नई बनी सरथल पुलिस पोस्ट पर आतंकियों ने हमला किया था। खुडवा के चुंचली मोड पर और लोआंग के सांव नाला बडयाल के पास आईईडी से वाहन भी उड़ाया गया था। वहीं शिरोडी में सुरक्षाबलों की आतंकियों के साथ मुठभेड़ में एक दहशतगर्द को भी ढेर किया गया था। लोग बताते हैं कि ढग्गर धमान के इलाके में आतंकी लंबे समय तक सक्रिय रह चुके हैं। इसी दौर में लोहाई मल्हार में भी कुछ आतंक की राह पकड़कर पाकिस्तान निकल गए थे।

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