खुदकुशी कर चुके किसानों के अवशेषों के साथ नए सिरे से शुरू हुआ किसान आंदोलन
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ किसानों की ‘खोपड़ी’ एक बार फिर खिसक गई है। इस बार वे मोदी के द्वार नरकंकाल लेकर पहुंचे हैं। नरकंकाल के रूप में ये अवशेष खुदकुशी कर चुके किसानों के हैं। इसके साथ ही नए सिरे से किसान आंदोलन शुरू हो चुका है।
गौरतलब है कि तमिलनाडु के करीब २०० किसान फसल की कीमतों और नदियों को आपस में जोड़ने के मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली स्थित जंतर मंतर पर आए हैं। प्रदर्शनकारी उन किसानों की खोपड़ी और हड्डियों के साथ आए हैं, जिन्होंने पिछले सालों में आत्महत्या की है। नेशनल साउथ इंडियन रिवर इंटरलिंकिंग फार्मर्स एसोसिएशन, तमिलनाडु के अध्यक्ष अय्याकन्नू ने कहा, ‘२०१९ के चुनावों के दौरान पीएम ने घोषणा की थी कि मैं फसलों का दोगुना मुनाफा दूंगा और नदियों को आपस में जोड़ूंगा मगर कुछ भी नहीं हुआ।’ किसानों ने कहा कि पहले उन्हें प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई और पुलिस ने उन्हें रोक दिया। किसान नेता ने कहा, ‘हम एक लोकतांत्रिक देश में रह रहे हैं और हमें प्रदर्शन करने का अधिकार है, बाद में अदालत से प्रदर्शन करने की अनुमति मिल गई।’ किसानों के अनुसार केंद्र सरकार ने कृषि में दोगुनी आय का वादा किया था, लेकिन फसलों की कीमतें नहीं बढ़ाई गई हैं। किसानों ने कहा कि अगर सरकार उनकी मांगों को नहीं सुनेगी तो वे पीएम के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए वाराणसी जाएंगे। अय्याकन्नू ने कहा, ‘अगर सरकार हमारी बात नहीं सुनती है तो हम वाराणसी जाकर पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।’ किसानों ने यह भी कहा कि उन्होंने पहले भी अपनी मांगों के लिए विरोध प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि हम पीएम के खिलाफ नहीं हैं या हमारा किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है। हम सिर्फ उनकी मदद चाहते हैं।