मुख्यपृष्ठस्तंभमाफियाओं के हौसले तोड़ने होंगे

माफियाओं के हौसले तोड़ने होंगे

  • योगेश कुमार सोनी

एक बार फिर उत्तर प्रदेश में माफियाओं को लेकर माहौल गर्म है। अतीक अहमद व कुछ नामी माफियाओं पर शिकंजा कसने की सरकार हुंकार भर रही है लेकिन अभी भी हजारों छोटे-बड़े माफियाओं का आतंक जारी है। दरअसल, आम जनता को जो मीडिया द्वारा दिखाया जाता है, लोग मात्र उतना ही समझ पाते हैं। जेल में रहकर भी अतीक अहमद ने अपने गुर्गों से खुलेआम उमेश पाल व सुरक्षाकर्मियों को मरवा दिया। इसके बाद सरकार अपने एक्शन में आने की चर्चा कर प्रशंसा बटोर रही है लेकिन हकीकत तो यही है कि माफिया व गुंडे कुछ समय के लिए गायब हो जाते हैं और फिर से एक्टिव हो जाते हैं। ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश में २०१७ में योगी ने सरकार बनते ही माफियाओं पर पूरी तरह नेस्तेनाबूद करने की हुंकार भरी थी, थोडा काम भी हुआ लेकिन लगभग एक वर्ष बाद ही फिर से माफियाओं का बोलबाला देखने को मिला। हर बार एक ही बात कही जाती है कि उत्तर प्रदेश में एक बार माफियाओं पर नकेल कसी जा रही है लेकिन माफिया कभी बाज ही नही आते। जैसा कि बीती २४ फरवरी को प्रयागराज में उमेश पाल और उसके दो गनर्स की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उमेश पाल हत्याकांड में गवाह थे। उमेश के गाड़ी से उतरते ही बदमाशों ने उन पर फायरिंग कर दी थी। इस दौरान उनकी और उनके गनर की गोली लगने से मौत हो गई थी। इस घटना से उत्तर प्रदेश में गवाहों की सुरक्षा को लेकर तमाम सवालिया निशान खड़े हो गए, बाकी अन्य केसों में जो गवाह थे, वो भी अब अदालत जाने से पहले हजार बार सोच रहे होंगें। योगी की पुलिस ने बदले में अतीक के गुर्गों को ढेर करना शुरू कर दिया, जिससे योगी के एक्शन की चौतरफा प्रशंसा हुई लेकिन मन में एक प्रश्न यह भी आता है कि क्या देश की संचालन प्रक्रिया के पास इनको जड़ से खत्म करने का इलाज नही हैं? आज भी कई माफिया व गैंगस्टर अपने गुप्त अड्डों व जेल से ही अपना सिंडिकेट चला रहे हैं। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ही कब्जे हो रहे हैं। यहां आज भी रंगदारी व जमीनों पर कब्जे होते हैं तो बाकी जगहों का तो कहना ही क्या? देश की सबसे अधिक जनसंख्या वाले प्रदेश में जनता की सुरक्षा की स्थिति ज्यादा बेहतर नही है। जनता ने जितना सरकार पर भरोसा, उतना सरकार कसौटी पर खरा नहीं उतर पाई। सदन में पक्ष-विपक्ष लड़ता जरूर है लेकिन उनकी बातों का धरातल पर कार्य शून्य सा लगता है। उत्तर प्रदेश में जिस तरह आतंक का साया रहता है, उस तरह तो लोगों वहां सुरक्षा की गारंटी लेकर नहीं जी पा रहे। चूंकि जब पुलिस की सुरक्षा के बाद भी लोगों की जिंदगी सुरक्षित नहीं है तो आम जनता के विषय में सोचते हुए बेईमानी लगती है। दरअसल, अब सभी दल एक-दूसरे पर निजी हमला करते हैं। जिससे अहम मुद्दों पर गंभीरता नहीं दिखाई जाती और परिणाम सबके समक्ष है। जनता तरक्की और सुरक्षा के लिए सरकार चुनती है, यदि तरक्की नहीं हो पा रही तो कम से कम सुरक्षा तो जरूर मिले।

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