सामना संवाददाता / मुंबई
बदलापुर में मासूम छोटी बच्चियों से दुष्कर्म की घटना हुई। इस घटना में पीड़ित बच्चियों के माता-पिता १२ दिनों से भटक रहे थे। लेकिन पुलिस मामला दर्ज करने को तैयार नहीं थी। इस घटना को लेकर मुंबई हाई कोर्ट ने भी गंभीर टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा कि जब बच्चियों और महिलाओं पर अत्याचार हो रहा हो और यह सिलसिला लगातार जारी हो, जिस पर शासक अपनी आंखें बंद करके बैठें हों, तो ऐसी सरकार को शासन करने का कोई अधिकार नहीं है। इस घटना में पुलिस भी बराबर की जिम्मेदार है। राज्य का पुलिस विभाग भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। साथ ही खाकी वर्दी में संवेदनहीन लोग हैं। इस तरह का जोरदार हमला शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने किया।
जलगांव में पत्रकारों से बातचीत करते हुए सांसद संजय राऊत ने कहा कि अपराध घटित होने पर उसे दर्ज करना पुलिस का कर्तव्य है। लेकिन अगर किसी को इस तरह का अपराध दर्ज करने से रोका जा रहा है, क्योंकि इससे उनका संगठन बदनाम होगा और पुलिस भी दबाव बनाने में मदद कर रही है, तो यह बहुत गंभीर अपराध है। इस पूरी घटना में पुलिस भी जिम्मेदार है। ठाणे, कल्याण-डोंबिवली, पालघर में पुलिस नहीं, बल्कि घाती गैंग हैं। ये खाकी वर्दी वाले संवेदनहीन लोग हैं। मुख्यमंत्री और उनके कुछ लोग कहेंगे कि वही कानून कुछ समय से लागू है। संजय राऊत ने आरोप लगाया कि कई जिलों में पुलिस के साथ नौकरों जैसा व्यवहार किया जा रहा है और यही अराजकता का कारण है।
संजय राऊत ने आगे कहा कि केंद्र ने राकांपा (शरदचंद्र पवार) के अध्यक्ष शरद पवार को सुरक्षा मुहैया कराई, जबकि उन्हें इसकी जरूरत नहीं थी। इसका मतलब यह है कि केंद्रीय गृह मंत्री को महाराष्ट्र पुलिस पर भरोसा नहीं है। यह केंद्र ने ही मुहर लगा दी है कि महाराष्ट्र पुलिस न तो हमारी बच्चियों की सुरक्षा कर सकती है और न ही हमारे नेताओं की रक्षा कर सकती है।
हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे सर्वोच्च राजनीतिक शिखर पर थे, तो आईबी उन्हें चेतावनी देती थी कि वे यहां न जाएं, वहां खतरा है। संजय राऊत ने कहा कि जो नेता लोकप्रिय है, जो हमें हरा सकता है, उसे कहीं न कहीं फंसाना, उनके दिमाग पर दबाव डालना ही इनका मकसद रहता है। इस मौके पर संजय राऊत ने यह भी कहा कि उनकी विश्वसनीय जानकारी हासिल करने के लिए यह सुरक्षा व्यवस्था है।
सत्ताधारियों ने इसलिए किया है पुलिस में निवेश
राज्य की पुलिस महानिदेशक सार्वजनिक तौर पर कहती हैं कि मैं संघ की कार्यकर्ता हूं। कई पुलिस अधिकारियों की नियुक्ति उनके परिवार की पृष्ठभूमि संघ से होने के आधार पर की गई। यदि कर्तव्यनिष्ठ पुलिसकर्मियों की यही योग्यता होगी तो अन्य पुलिस अधिकारियों में निराशा और नाराजगी पैâल जाएगी। राज्य में पुलिस विभाग भ्रष्टाचार में आकंठ डूबा हुआ है। पैसों के बिना तबादला और पदोन्नति नहीं होती है। टेंडर को प्रतिसाद न मिलने की वजह से मुंबई और ठाणे पुलिस के प्रमोशन और ट्रांसफर रोक दिए गए हैं। ऐसा होने पर बदलापुर, कोल्हापुर, अंबरनाथ जैसी घटनाएं होंगी ही। सत्ताधारियों ने विपक्ष का कांटा का निकालने, झूठे मुकदमे दर्ज करने के लिए पुलिस में निवेश किया है। प्रदेश में कानून कहां है? इस तरह का सवाल संजय राऊत ने पूछा।