मुख्यपृष्ठनए समाचारराज्य में नहीं थम रहा मलेरिया का आतंक! ...एक साल में मिले...

राज्य में नहीं थम रहा मलेरिया का आतंक! …एक साल में मिले १०,००० मरीज, छह मरीजों की हुई मौत

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में रुक-रुक कर हो रही बारिश से मलेरिया और डेंगू जैसी मौसमी बीमारियों के लिए पोषक माहौल बन गया है। आलम यह है कि प्रदेश में मलेरिया का आतंक बढ़ता ही जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के द्वारा मुहैया कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में एक साल के दौरान मलेरिया के १० हजार मामले दर्ज किए गए हैं। इतना ही नहीं इस बीमारी से छह लोगों की मौत भी हुई है।
उल्लेखनीय है कि मलेरिया मच्छरों से पैâलने वाली बीमारी है, जो प्रोटोजोआ नामक एकल कोशिका वाले परजीवी के कारण होता है, जिसे एनोफेलिस भी कहा जाता है। इस मच्छर के काटने के एक दिन अथवा ७२ घंटे के बाद व्यक्ति को ठंड के साथ बुखार हो जाता है। इसके अलावा सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पसीना आने के लक्षण भी दिखाई देते हैं। साथ ही सूखी खांसी और मितली भी इसके लक्षणों में शामिल हैं। फिलहाल बीमारी को पैâलानेवाले मच्छरों की संख्या पर हमारा नियंत्रण नहीं है, जिस कारण प्रदेश में इसके मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।

यहां हैं सबसे अधिक मरीज
राज्य में सबसे ज्यादा मरीज गढ़चिरौली, गोंदिया, मुंबई और ठाणे में मिल रहे हैं। प्रदेश में साल २०२० में १२,९०९ मरीज मिले थे, जबकि १२ मौतें हुई थी। इसी तरह साल २०२१ में १९,३०३ मरीज मिले थे। साथ ही १४ की मौत हुई थी। साल २०२२ में भी १५,४५१ मरीज दर्ज किए गए, जबकि २६ मौतें हुर्इं। इस साल जनवरी से १४ सितंबर के अंत तक १०,००० मरीज मिल चुके है, जबकि ६ मरीजों की मौत भी हुई है। आंकड़ों के मुताबिक, साल २०२२ में अब तक की सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं।

यह है खतरनाक प्रजाति
प्लाजमोडियम फाल्सीपेरम (पीएफ) खतरनाक प्रजाति है। इसमें मौत की संभावना ज्यादा रहती है। इसलिए इन मरीजों को लेकर अधिक सावधानी बरतनी पड़ती है। समय पर इलाज न मिलने पर पीएफ के मरीजों की मौत हो सकती है। यह एक प्रकार का परजीवी है जो मानव शरीर के आंतरिक अंगों में पनपता है। साथ ही मस्तिष्क की वाहिकाओं में बढ़ता है और मार्ग को अवरुद्ध कर देता है। इसके कारण मरीज मस्तिष्क पर पूरा नियंत्रण खो देता है। सामान्य मलेरिया और पीएफ दोनों का इलाज अलग-अलग तरीके से किया जाता है।

राज्य में मलेरिया रोधी उपाय
राज्य के प्रत्येक आदिवासी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक प्रयोगशाला तकनीशियन उपलब्ध है। दूरस्थ और अति दुर्गम क्षेत्रों में मलेरिया का तत्काल पता लगाने के लिए रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट किट की आपूर्ति की जा रही है। नागरी मलेरिया योजना के अंतर्गत राज्य के चयनित १५ शहरों में कृमि नाशक छिड़काव किया जा रहा है।

अन्य समाचार