मुख्यपृष्ठस्तंभउत्तर की उलटन-पलटन : कांग्रेसयुक्त हो रही है भाजपा!

उत्तर की उलटन-पलटन : कांग्रेसयुक्त हो रही है भाजपा!

श्रीकिशोर शाही
२०१४ के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा के प्रधानमंत्री उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए कांग्रेसमुक्त भारत की बात कही थी। २०१४ में यूपीए की हार के बाद भाजपा ने सरकार बनाई थी। तब से हर चुनाव चाहे वह विधानसभा का रहा हो या लोकसभा का, प्रधानमंत्री मोदी कांग्रेसमुक्त भारत की बात ही कहते आ रहे हैं। यह अलग बात है कि अभी तक उन्हें भारत को कांग्रेस से मुक्त करने में तो सफलता नहीं मिली है। इसके उलट कई बार तो ऐसा लगता है कि ‘कांग्रेसमुक्त’ भारत के चक्कर में कहीं भाजपा तो ‘कांग्रेसयुक्त’ नहीं होती जा रही है? दरअसल, बात ही कुछ ऐसी है।
इस चुनाव में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता भाजपा ज्वॉइन कर चुके हैं और कई अन्य नेताओं के नाम हवा में तैर रहे हैं। इनमें सबसे लेटेस्ट नाम नवीन जिंदल का है, जिन्होंने चट से पार्टी ज्वॉइन की और उन्हें पट से टिकट भी मिल गया। नवीन जिंदल देश के जाने-माने उद्योगपति हैं। वे जिंदल स्टील और पावर कंपनी के मालिक हैं। उन्हें कुरुक्षेत्र से टिकट दिया गया है। जिंदल २००४ और २००९ में कांग्रेस के टिकट पर वहां से जीतकर सांसद बने थे। इसके बाद २०१४ के चुनाव में वे हार गए थे। तब से उनका पॉलीटिकल करियर हिचकोले खा रहा था, मगर अब भाजपा का टिकट मिलने के बाद नवीन जिंदल की बल्ले-बल्ले हो गई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, यूपीए की सत्ता जाने के बाद जिंदल स्टील भी बुरे दौर से गुजर रही थी। कुछ साल पहले तक जिंदल स्टील भारी कर्ज के बोझ तले दबी हुई थी। हालांकि, नवीन जिंदल ने कंपनी के कर्ज को काफी हद तक कम करने में सफलता पाई है। जहां तक हरियाणा का सवाल है तो वहां पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा का स्ट्राइक रेट शत-प्रतिशत रहा है, लेकिन किसान आंदोलन के कारण इस बार वहां काफी असंतोष है इसलिए भाजपा ने कई टिकट काट दिए हैं। आपको यह सुनकर थोड़ा आश्चर्य हो सकता है कि भाजपा ने इस बार हरियाणा में जितने टिकट बांटे हैं, उसमें ६० प्रतिशत पूर्व कांग्रेसियों को दिए हैं।
भाजपा ने जिन्हें टिकट दिया है उनमें अशोक तंवर, रणजीत चौटाला, राव इंद्रजीत सिंह, अरविंद शर्मा, धर्मवीर सिंह और नवीन जिंदल पुराने कांग्रेसी रहे हैं। बाकी के चार टिकट भाजपाइयों को दिए गए हैं। इनमें कृष्णा पाल गुर्जर, मोहनलाल बडोली और बंतो कटारिया के नाम शामिल हैं। बंतो के पति के निधन के बाद उन्हें टिकट दिया गया है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को सीएम की गद्दी से हटाकर लोकसभा का टिकट दिया गया है। असल में इस बार हरियाणा से भाजपा की रिपोर्ट अच्छी नहीं है इसलिए खट्टर को हटाकर जातिगत समीकरण को साधते हुए नायब सिंह सैनी को नया मुख्यमंत्री बना दिया गया।
जहां तक नवीन जिंदल का सवाल है तो उनके भाजपा ज्वॉइन करने के पहले भी कई पुराने कांग्रेसी कमल को अपना चुके हैं। मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया एक समय राहुल गांधी के काफी खास हुआ करते थे, पर सत्ता के मोह में उन्होंने पार्टी बदल दी। वरुण गांधी का टिकट काटकर जिन जितिन प्रसाद को दिया गया है वे भी कांग्रेसी और राहुल गांधी के खास रहे हैं। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा भी कांग्रेसी रहे हैं। हाल ही में गुजरात कांग्रेस के पूर्व प्रमुख अर्जुन मोढवाडिया, मध्य प्रदेश में सुरेश पचौरी और महाराष्ट्र में अशोक चौहान ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वॉइन की है। इस तरह से देखा जाए तो नेताओं की एक लंबी कतार है, जिनमें कुछ स्वार्थ वश तो कुछ केंद्रीय एजेंसियों से बचने के लिए भाजपा में आ गए। ऐसे में पीएम मोदी के कांग्रेसमुक्त भारत का सपना तो साकार होता नहीं दिख रहा है, बल्कि कमल वाली पार्टी खुद ‘कांग्रेसयुक्त’ भाजपा बनती जा रही है।

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